केटेगरी : कविताएं
हाथों की लकीरें
तकदीर तो उनकी भी होती है जिनके नहीं होते हाथ हैं हाथों की लकीरें तो बस तसल्ली ए इत्तेफाक है किस्मत इंसान...
जिंदगी इक इम्तिहान
चुलबुली सी कभी कभी चहकी सीकभी रूखी कभी महकी सीकभी सहमी कभी बिंदास
नारी स्वयं पर भारी
सुख सुविधाएं धन दौलत रिश्ते नाते सब पाती है क्या बस यही पूर्ति औरत को संपूर्ण बनाती है सरल कोमल मन का...
गुमान
गुमान ❤️हां हुआ था गुमान एक बार मुझे भी... बरसों बैठी रही मैं उसके इंतजार में.. लगाए आशा अपने मन के गुमान में... पर पिया जी को मेरी कहां सुध थी... जानते हो कब हारी..???........
पछताने से क्या होगा
पछताने से क्या होगा ,जो बीत गया , सो बीत गया।पर बैठ जाने से क्या होगा ,वक्त का पहिया नही रुकेगा ...फल निर्धारित तो कर्म से होगा ,जीत हार में क्यों फंसते हो,कदम बढ़ाने से क्यों डरते हो??आत्मविश्वास से बढ़ते...
आत्मबोध
क्या पाने आया था,क्या मैने पाया।मोह माया में फंसकर,धूमिल हो गई मेरी छाया।अपनों संग मैं यूं बंधा,स्वयं को मैने खो दिया।प्रेम प्यार में रहना चाहा ,ईर्ष्या से भी दूर न रह पाया।स्वयं...
हाय रे स्कूटी
दो पहिए की सवारी करना सीख ले हम भी,सोचऐसा ,पति देव को तैयार कियातुम भी सुबह मॉर्निंग वॉक पर चलो और अपने बढ़ते पेट को कम करो ,समय मिले तो मुझे भी थोड़ा स्कूटी सिखा दिया करो,न चलाई हो जिसने कभी साइकिल,सीखेगी...
मां की आंखें
उम्र के इस पड़ाव पर आकर जाना है राज मां की आंखों का, खुद मां बन के एहसास हुआ आज मां के जज्बातों का ।क्यों मुझे उदास देखकर कारण ढूंढती थी वो आंखें, क्यों मुझे खिलखिलाता देख कर मुस्कुरा जाती थी वो आंखें,...
समय
समय..कभी चमकते हुए सितारों से संग.. कभी भोर की किरणों में जगमगाते हुए मेरे आंखों पर चुंबन देते हुए महसूस करती हूं मैं तुम्हें... सच कहूं पूरा समय में तुम मैं जीती हूं..... खामोश सी गलियों में चुप चुप सी राहे..... तुम्हारे...