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सर्दियों का मौसम गज़ब ढ़ा गया: Blog post by Bhavna Thaker
आज न पेट में कोई गड़बड़ है, न ही कुछ अनाप-सनाप खाया है, फिर ये मितली और उल्टियाँ मेरी समझ में नहीं आ रही थी।...
हनीमून पर जाने से पहले रखें इन बातों का ध्यान
शादी के बाद नये जोड़े को समय और एकांत देने वाला हनीमून कपल्स के लिए एक आह्लादक अनुभूति और एक दूसरे के करीब आने का ज़रिया है। हनीमून का उद्देश्य नये जोड़े को शादी की थकान से निजात दिलाना एक दूसरे के...
हनीमून सिस्टिटिस क्या है ? इससे कैसे बचें ?
शादी दो प्यार भरे अरमान भरे दिलों का मिलन और जन्म जन्मांतर के लिए बाँधने वाला बंधन है। दो अन्जान लोगों का सफ़र शादी की पहली रात से शुरू होता है। दोनों के मन में डर, शर्म, संदेह और कई सारी भावनाएं उमड़ रही होती है। शादी...
अंतिम सफर
हल्की सर्दियों के दिन थे वो....जब ज़िंदगी के किसी मोड़ पर तुमसे मिलना हुआ था। यूँ लगता हैं जैसे..... कल परसोंं की ही बात हैं। पर बात तो हैं ना इससे इंकार भी नहीं किया जा सकता।ये नहीं कहना कि तुमसे ना मिलते तो...
जीवनसाथी साथ में रहना!
"और नहीं कुछ तुमसे कहना, जीवनसाथी साथ में रहना।"तान्वी रेडियो पर अपना मनपसंद गाना सुन रही थी, कि तभी उसे आज सुबह अपने पति नीतेश और सासू मां के बीच हुई बहस याद हो आई।"तुम...
एक खत यादों के नाम
मेरी प्रिय तुमआज तुम्हारी बहुत याद आ रही थी सोचा कि तुम से एक बार मिल आऊ पर फिर ख्या़ल आया कि... तुम मुझसे मिलना क्यों चाहोगी..?? तुम ही तो मुझे छोड़कर गई थी ना। खैऱ जाने दो.. बीती बातों का क्या शोक...
वैवाहिक जीवन में सेक्स का महत्व
"वैवाहिक जीवन में सेक्स का महत्व अधिक होता है"आज रिचा फोन पर बात करते-करते अपनी भाभी सुमन के आगे रो दी। सुमन ने कहा क्या बात है क्यूँ रो रही है सच बता ? रिचा ने कहा भाभी मैं कितनी भी कोशिश करती हूँ आकाश को खुश रखने...
सोशल डिस्टंस का मारा एक रिश्ता
महामारी, सोशल डिस्टंस और लाॅक डाउन ने इंसानों को सिर्फ़ आर्थिक और मानसिक रूप से ही परेशान नहीं किया, पति पत्नी के शारीरिक संबंध पर असर करके दिलों में दूरियां भी भरकर डिस्टंस पैदा कर दिया।वंदना और विजय...
एक इडियट के डायरी नोट्स
तुम्हें पता हैं. ...मैं जब यादों की अटैची खोलती हूँ तो ...सबसे पहले तुम्हारे साथ बिताया वक्त आगे आता है... जानते हैं क्यों...? क्योंकि तुम महज एक शख़्स भर नहीं हो, एक याद नहीं हो.. ... तुम मेरा हिस्सा...
बहुत हुआ सुनना सुनाना,अब चाहिये अपनी शर्तो पर जमाना
शालू मैं फिर कह रही हूँ, तुझे दामाद जी के पास वापस लौट जाना चाहिये। ठीक है इंसान से गलती हो जाती है, लेकिन अब मान भी तो रहे हैं ना अपनी गलती। लेकिन अब तू जिद पकड़कर बैठी है।माँ आप एक औरत होकर भी मेरी पीडा़ नही जान पा रही...