केटेगरी : मदर इंडिया
खानदान का मान या बच्चों की खुशियां-आप किसे चुनेंगे ?
"कमाल की बात है, आज सभी नियम बदल गए... अब खानदान की इज्जत पर कोई आंच नहीं आ रही... आज परवरिश पर सवाल नहीं उठाये जाएंगे... क्योंकि आज बहू की बेटी नहीं बल्कि बेटी की बेटी की खुशियों का सवाल है, बहू और बेटी को एक जैसा समझने...
दादी का नया जन्म
सरोज ज़ी ड्राईवर रघु के साथ शॉपिंग माल में कुछ खरीददारी करने गयी हुई थी| सारी खरीददारी करके जैसे ही निकली तो बेटे राजीव का फोन आ गया, "माँ मुबारक हो आप दादी बन गयी है |""अच्छा बता क्या हुआ? बहू ठीक है ना!" सरोज ने...
इस घर में कभी लौटकर मत आना
# वीभत्स रस - घृणा''मम्मी! पापा का फोन आया था, दादी बहुत बीमार है | चलो ना अस्पताल में एक बार चलकर उन्हें देख आते हैं |'' रूही अपनी माँ जाह्नवी से बोली|''खबरदार! जो दादी या अपने पापा का मेरे सामने नाम लिया तो| तुम्हें...
खुशियों की चाबी,नन्ही गुड़िया
" यह क्या अनर्थ कर दिया तुमने बहू ...!! अपने यहां बेटियों की कमी थी तो एक और लड़की को उठाकर ले आई ? तुम्हारी पहले से ही दो बेटियां हैं तो ये तीसरी किस खुशी में ? लाना ही था तो लड़का लाती ...!! अच्छा अब समझी मैं अपने भाई के सर से...
जीत परवरिश की -Story By Aparna Jaiswal
दीपिका एक नामी वकील जिसका मकसद मजलूम औरतों को इंसाफ दिलाना... आज उससे मिलने बरसों बाद रजनीश जी पहुंचते है। उसे अपने ऑफिस में देख दीपिका हैरान रह जाती हैं और बरसों पुराना दर्द याद आते ही उसकी आंखों में नफरत भर जाती है।"आज...
यादें-कल आज और कल
क्या कहूँ, कहाँ से शुरू करूँ, कुछ समझ नहीं आता??क्या हुआ क्या बड़बड़ा रही हो, पतिदेव ने पूछा।अरे आज डाॅटर डे है ना, तो सबलोग इसी पर लिखने में लगे हैं, मैं क्या लिखूँ कुछ समझ नहीं आ रहा।इसमें...
दिल से दिल की बातें - Blog By Madhu Bagga
प्रिय सोमाआज एक दूसरे से वार्तालाप के इतने सारे साधन है उसमे चिट्ठी कहीं गुम सी हो गयी है।जैसा की तुम जानती हो कि तुम मेरे दिल दिमाग मे हमेशा रहती हो, तो आज डाटर्स डे वाले दिन तुम मेरी लेखनी में भी उतर आई...
दुआओं की अमानत होती हैं बेटियां
लोगों के लिये शायद मेरा वजूद "बेटियों की मां" का है... जिन्हें मैं बहुत ही लाचार और मायूस लगती हूं। लेकिन कभी भी एक पल के लिए भी नहीं, मुझे ऐसा लगा कि मैं बेटियों की मां बनकर खुश नहीं हूं। सच तो यही है कि हमेशा...
बेटी - एक अनमोल तोहफा
मेरी प्यारी बिटिया,सदा खुश रहिए।आज ये खत लिखने की खास वजह है, कई बार कुछ बातें करने में हम सहज नहीं हो पाते,पर हो सकता है कि मेरे व्यवहार में आपको दिखता होगा ।उसे लिख के आप...
मेरा साया साथ होगा
आज स्नेहा ने अपने वैवाहिक जीवन में पहली बार स्वयं के लिए नहीं बल्कि अपनी बेटी वृंदा के लिए आवाज़ उठाई थी|वृंदा भी हैरान थी आज अपने माँ के बदले हुए स्वरुप को देखकर| उसे यकीन था कि हर बार की तरह पापा...