केटेगरी : संस्कृति और शिक्षा
काश वों लम्हा मैं जी पाती!!
जनवरी माह का पोएट्री चैलेंज!काश वों लम्हा मैं भी जी पातीहर साल के जैसा इस बार भीमन मसोसकर घर के बाकी बचे कामों में लग जाती वों 26 जनवरी का स्कूल में परेड उसमें बच्चों का भाग लेना काश मैं भी अपने आँखों...
बिटिया की सगाई रस्म: Blog post by Seema Praveen Garg
भारतीय शादियां त्योहारों की तरह होती हैं, जिन्हें प्रेम, मस्ती, संगीत और नृत्य के साथ मनाया और मनाया जाता है...
माता सीता का चरित्र चित्रण
महि से प्रगट हुई चाँद सी ज्योत्सना लिए,आभा मुखमंडल पे रबि सा उजास है।मिथिला नरेश के राज्य राजधानी में,सखिन्ह संग करती हास परिहास है।कौशल किशोर श्रीराम रघुराई संग,ब्याह के आयी सिय अबध रनिवास है।कठिन...
क्या मैं कभी मम्मा नहीं बन पाऊंगी?- एक सवाल बेटी का
"मम्मा, मुझे पिरियड नहीं आते तो क्या मैं कभी मम्मा नहीं बन पाऊंगी?" यह सवाल था मेरी बारह साल की बेटी का जो टीनएज में जाने वाली थी। यह सवाल सुनकर मेरा दिमाग चकरा गया और फिर मुझे अपने इस सवाल का जबाब...
परिवार की अहमियत- एक माँ का अनुभव
कृष्णा आंटी और मुरली अंकल मेरे पड़ोस में रहने आए। मैं गीता शर्मा और पति विनोद शर्मा। पति बिजली विभाग में कार्यरत है। मुरली अंकल का यहां तबादला हुआ।मैं सुबह की चाय लिए उनके घर का दरवाजा खटखटाई।देख आश्चर्य हुआ आंटी तो...
#वो बीते लम्हें # यादें बेखौफ़ बचपन की.
#थर्सडेपोएट्रीचैलेंज#वो बीते लम्हें#यादें बेखौफ़ बचपन की वो बीते लम्हें की खूबसूरत,यादें ज़ब भी मुझको आती है,बचपन में बिताये हसीन यादों की,अलग ही उमंग भर जाती है,वो आम की डाली उसपर,पड़ने वाला वह झूला,वो खेतो की हरियाली,वो शाम...
भक्तिरस,वात्सल्यरस,अद्भुत रस
भक्ति रस, वात्सल्य रस और अद्भुत रस का संगमभक्ति रस-परम् पावन है व्रज भूमि लिया...
दीप सजे मेरे अंगना
अद्भुत छटा बिखेरती यह रात ,कुछ मतवाला कर गयी ऊपर तो थे ही सितारे ,धरा को भी सितारों से भर गयी झिलमिल सितारों का आँगन, मन में उमंग भर गया लौ टिमटिमाती अँगना में, मन में उजाला भर गया दीपों की आवली यह ,घर-घर...
मित्रता
नही रिश्ता लहू का है, मगर फिर भी सुधा रस सा। ।।1।।कभी तकरार तीखी सी,कभी मीठा है मधुरस सा। ।।2।।सजा सौहार्द रंगों से,बंधा विश्वास की डोरी। ।।3।।है साथी सुख दुःखो का,उजाला बन के दीपक सा। ।।4।।कभी...
#विजय दशमी
किया था विनाश श्रीराम ने रावण का,अनेकों बुराइयां जलकर भष्म हो गयी थी।आया था धरा पर रामराज्य और धर्म की,दीपमालाएं प्रज्ज्वलित हो उठी थी।जलाते है हम हर साल रावण के पुतले को,फिर भी समाज में व्याप्त बुराई है।मद,मोह,ममता...