मम्मी मुझे चोट लग गई है

मम्मी मुझे चोट लग गई है

रोजमर्रा की तरह उस दिन भी मैं स्कूल के लिए तैयार हो रही थी लेकिन आज मेरी कमर पेट और पैरों में दर्द था।

मुझे लगा स्कूल में गेम सर ने जो एक्सरसाइज कराई है उससे दर्द हो रहा है। एक मन किया स्कूल से आज छुट्टी कर लो लेकिन उस दिन मेरा लास्ट टेस्ट था, तबीयत ठीक ना होने के कारण मैं उसे मॉर्निंग असेंबली में नहीं गई।

पूरे दिन  रुक रुक कर पेट में दर्द हो रहा था, छुट्टी से कुछ देर पहले साइंस टीचर ने मुझसे स्टाफ रूम से टेस्ट कॉपी लाने को बोला, जैसे ही उठकर मैं कॉपी लेने के लिए गई मुझे कुछ अजीब सा गीलापन लगने लगा, और जोरो से पेट में दर्द होने लगा कॉपी लाते ही मैंने मैम से पेट दर्द के बारे में बोला, मैम ने मेरे भाई को बुला कर उनसे बोला आज इसकी तबीयत ठीक नहीं है तुम इसे छुट्टी में अपने साथ लेकर जाना।

जैसे ही मम्मी ने मुझे भाई के साथ आते देखा वह कुछ चौक गई , जो भाई-बहन एक साथ स्कूल जाना पसंद नहीं करते थे वह आज एक साथ आ रहे थे और भाई ने मेरा बैग पकड़ रखा था, भाई गेट खोलते ही बोलने लगे"मम्मी यह बहुत ड्रामेबाज है तबीयत खराब होने का बहाना बनाकर मेरे साथ घर आई है अगर इसे बहाना ही बनाना था तो छुट्टी से पहले बना लेती मैं भी इसके साथ घर जल्दी आ जाता।

मम्मी मुझसे कुछ पूछती उससे पहले मैं सीधे वॉशरूम में चली गई, और जोर जोर से चिल्लाने लगी" मम्मी मम्मी देखो मुझे चोट लग गई है"। दादी और मम्मी घबराते हुए वॉशरूम में आई, उन्हें देखते ही मैं रोते हुए बोली"देखो मम्मी कितना खून निकल रहा है और दर्द भी बहुत हो रहा है मुझे चोट लग गई है।

दादी ने मुझे देखा और सिर पर हाथ रखते हुए बोली" चिल्लाओ मत यह सब के साथ होता है",दादी का हाथ हटाते हुए  मम्मी  देखते हुऐ गुस्से से मैं बोलने लगी सबके साथ होता है क्या मतलब मुझे बहुत दर्द हो रहा है कुछ करो, मम्मी ने दादी को बाहर भेजते हुए मुझसे कहा तुम नहा लो मैं अभी आती हूं, कुछ देर बाद मम्मी सेनेटरी पैड के साथ मेरे पास आई और मुझे समझाने लगी,"बेटा यह चोट नहीं, नेचुरल प्रोसेस है जो हर लड़की को13 से 15 साल में शुरू होता है, इससे हमारी बॉडी का गंदा ब्लड निकल जाता है, इसे मासिक धर्म कहते हैं या पीरियड्स भी बोल सकते हैं जो हर महीने 5 से 7 दिन के लिए होता है।

यह पीरियड्स मुझे , तुम्हारीबुआ ,मौसी दीदी और तुम्हारी फ्रेंड्स को भी होता होगा". तुरंत मैंने मम्मी से पूछा यह हीरोइन को भी होता है, और पीटी उषा को भी, मम्मी ने हां में सर हिला दिया फिर मम्मी ने मुझे सैनेट्री पैड यूज करना बताया और बाहर ले जाकर एक पत्थर पर पांच लाइन खींचवाई और उसमें से तीन लाइन काटने को बोला, मैंने मम्मी से पूछा आप यह क्या कर रही हो, बिना कुछ कहे सर पर हाथ फेरते हुए उन्होंने मुझे किचन में आकर आलू के पराठे खाने को बोला, रोज खाते समय मेरी अपने भाई से बहस होती थी पर आज मैं चुपचाप से अपना खाना खा रही थी।

उन्होंने मम्मी से पूछा "इसकी ज्यादा तबियत खराब है ?यह आज इतनी चुप क्यों है ?पापा को फोन करूं क्या?"मम्मी ने भैया को हिदायत देते हुए अपने कमरे में जाकर पढ़ाई करने को बोल दिया, मैं भी चुपचाप अपने कमरे में जाकर कुछ देर सो गई, आज न तो मुझे मम्मी के पराठे पसंद आ रहे थे और ना ही दादी और मम्मी, शाम को मेरी फ्रेंड मुझे खेलने के लिए बुलाने आई तो मैंने तबीयत खराब होने का बहाना बना दिया,आज मम्मी कुछ ज्यादा ही मेरा ध्यान रख रही थी कभी गर्म पानी की बोतल पेट में रखती तो कभी अजवाइन की चाय बना कर देती और गरम-गरम सूप पीने को बोलती, पापा भी ऑफिस आते समय मेरे लिए चॉकलेट लेकर आए , उस दिन मम्मी ने मुझे अपने पास ही सुलाया, अगले दिन मैंने स्कूल जाने से मना कर दिया।

शाम को अचानक मेरी क्लास टीचर जो मेरी मम्मी की फ्रेंड थी घर आई, मुझे लगा लो फिर आज कोई शिकायत करने आ गई हैं वह मेरे पास आई और बोली कैसी हो दीपिका मुझे तुमसे बात करनी है, वह मुझे मेंसुरेशन साइकिल समझाने लगी और बताने लगी यह हर लड़की को होने वाली एक नेचुरल प्रोसेस है, इस प्रोसेस से एक बच्ची एक ब्रेव गर्ल्स बनती है, मै उन की बात सुनते ही  बीच में बोल पड़ी मैम फिर यह बॉयज को क्यों नहीं होता, वह तो हमसे भी ज्यादा स्ट्रांग होते हैं, मेरी बात सुनकर कुछ हंसते हुए  मैम बोली वह लोग फिजिकल स्ट्रांग होते हैं पर मेंटली लड़कियों से कम स्ट्रांग होते हैं, जिस तरह से उनकी दाढ़ी मूछ उनके बड़े होने का एक सिंबल होता है उसी तरह से लड़कियों का पीरियड उन के बड़े होने का. अब तुम एक ब्रेव गर्ल हो जो जिंदगी की कोई भी प्रॉब्लम को आसानी से सहन कर सकती है।

उस समय एक क्लास सेवंथ की बच्ची होने के कारण मुझे मैम की कुछ बात समझ आई कुछ नहीं. अगले दिन मम्मी ने समझा-बुझाकर स्कूल तो भेज दिया, पर पूरा दिन मैं चुपचाप अपनी बेंच में बैठी रही ना गेम्स क्लास में गई और ना ही क्राफ्ट वर्क में कोई इंटरेस्ट लिया, लंच ब्रेक में हिचकते-हिचकते अपनी बेस्ट फ्रेंड ज्योति से अपनी पीरियड के बात डिसकस की, उसने मुझे बताया कि उसको 2 महीने पहले से ही पीरियड आ रहे हैं जो कि एक आम बात है यहां दुनिया की सारी स्त्रियों को होने वाली एक बायोलॉजिकल प्रोसेस है।

उसकी बात सुनकर मुझे सच में लगा की यह मेरे साथ नहीं बल्कि सब लड़कियों को महीने में एक बार पीरियड होता है इससे घबराने की कोई जरूरत नहीं।

मेरे फर्स्ट पीरियड ने मुझे समझदार और अपनी केयर करना सिखाया।।

#MyFirstPeriod

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