2 अक्टूबर

राष्ट्रीय पर्व दो अक्टूबर को सद्भाव दिवस के रूप में नमन करें ,
बापू की अहिंसा और शास्त्री जी की विनम्रता को अपने जीवन का आधार बुने,
बेरुखी के परिप्रेक्ष्य मानवता के दीपक की लौ और बढ़ाएं ,
आओ मिलकर सब निस्वार्थ भावना से गांधी -शास्त्री के देश को फिर से स्वस्थ और स्वच्छ बनाएं, साबरमती के संत की बुरा मत बोलो ,सुनो और कहो की नीति को फिर अपनाएं,
स्वार्थी होते मानव को निःस्वार्थ का पाठ पढ़ाएं, मानवता की ऐसी फिर से श्रृंखला बनाएं धूमिल होती गांधी जी की सिद्धांतों को फिर से जगाएं,
खादी की धोती और उनकी लाठी का महत्व आज के नौजवानों को बताएं ,
शास्त्री जी की विनम्रता और सादगी को जीवन का आधार मनाएं,
धरती पर पैर रखकर आसमां तक उड़ने की कला आओ फिर से हम एक दूसरे को सिखाएं,
" जय जवान, जय किसान" का नारा फिर आज हम जोर से लगाएं ,
जवानों की सहादत सर माथे से लगाएं, किसानों की माटी को अपने सर का ताज बनाएं,
आधार स्तंभ है यह देश के , कर सम्मान इनका शास्त्री जी को सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित कर पाएं,
पोरबंदर के महात्मा,
मुगलसराय के शास्त्री जी के विचारोंकी परिपाटी पर भव्य भारत का निर्माण करें,
जात पात की दीवारों को तोड़ ,
संप्रदाय के संकुचित दायरों को छोड़ ,
गांजी- शास्त्री जी के सपनों के भारत का निर्माण करें ,
'वासुदेव कुटुंब' को परिभाषित कर,
भारत भू पर आविर्भाव हुई विभूतियों को आओ! श्रद्धा पूर्वक नमन करें,
प्रेम के श्रद्धा सुमन आओ चरणों पर अर्पित करें जय गान हो भारत का, आओ मिलकर हम सब ऐसा काम करें,
लाल बहादुर शास्त्री, मोहनदास करमचंद गांधी का विश्व पटल पर नाम करे,
आओ! मिलकर 2 अक्टूबर का पर्व सादगी और अहिंसा के नाम का करें।
दीपिका राज सोलंकी ,आगरा उत्तर प्रदेश
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