अमृता प्रीतम जी के यह 25 विचार आपके चेहरे पर लाएंगे मुस्कान

अमृता प्रीतम (August 13, 1919- October 31, 2005) ने अपने मन के विचारों को हमेशा बेहद ही नायाब तरीके से पन्नों पर उतारा। विषय चाहे जो भी रहा हो: प्रेम, विरह, त्याग, देश का विभाजन या फिर कुछ और, उन्होंने अपनी कलम के ज़रिये पाठकों के मन को खासकर कि स्त्री मन को बखूबी छुआ!
एक ओर अमृता प्रीतम जी की कृतियां, समाज में फैली कुरीतियों, राजनीतिक मुद्दों पर आज भी करारा कटाक्ष करती नज़र आती हैं। दूसरी ओर प्रेम, विरह और स्त्री मन के कोलाहल को बेहद सरल तरीके से सबके समक्ष रखती आयी हैं। महिलाओं के लिए तो वे एक प्रेरणा और मार्गदर्शक सामान हैं।
अमृता प्रीतम जी की लिखी कवितायें, कहानियां और विचार आज बरसों बाद भी आधुनिक पीढ़ी के लिए एक प्रेरणा का काम करते हैं! उनकी लिखी एक कविता “आज आखां वारिस शाह नू (Ajj Aakhaan Waris Shah Nu), जो की बंटवारे पर लिखी गयी थी, उनकी बेहद प्रसिद्ध कृतियों में से एक है।
पिंजर नाम का साहित्य कार्य भी अमृता जी द्वारा ही किया गया जिस पर आगे चलकर, बॉलीवुड की एक चर्चित फिल्म बनी जिसे उर्मिला मातोंडकर और मनोज बाजपेयी पर फिल्माया गया था।
अमृता प्रीतम जी के लिखे कुछ खास 25 विचार लेकर The Pink Comrade मंच आपके समक्ष हाज़िर है:
1. जब कोई पुरुष किसी स्त्री की शक्ति पर विश्वास नहीं करता है तब वह अपने स्वयं के अवचेतन से इनकार कर रहा है….
2. उम्र की सिगरेट जल गयी, मेरे इश्क़ की महक तेरी साँसों में…
3. जहाँ भी आज़ाद रूह की महक पड़े, समझना वहां मेरा घर है.....
4. उम्र के कागज़ पे तेरे इश्क़ का अंगूठा लगा दिया ….
5. तेरा मिलना ऐसा होता है कि जैसे हथेली पर कोई एक वक़्त की रोजी रख दे…
6. धरती का दिल दहक रहा है शायद आज टहनियों के घर फूल मेहमान हुए हैं.....
7. मैंने अपनी ज़िन्दगी की सारी कड़वाहट पीली क्यूंकि इसमें तेरे इश्क़ की एक बूँद मिली थी….
8. तुम्हारी याद कुछ इस तरह आयी जैसे गीली लकड़ी में से गहरा और काला धुआं निकलता है..
9. यादों के धागे कायनात के लम्हों जैसे होते हैं…
10. आँखों में कंकर छितर गए और नज़र ज़ख़्मी हो गयी, कुछ दिखाई नहीं देता, दुनिया शायद अब भी बस्ती है
11. तड़प किसे कहते है तू ये नहीं जानती, किसी पर कोई क्यों अपनी ज़िन्दगी निसार करता है
12. अब सूरज रोज़ वक़्त पर डूब और अँधेरा मेरी छाती में उतर जाता है।
13. मर्द ने औरत के साथ सिर्फ सोना ही सीखा है, जागना नहीं इसलिए मर्द और औरत का रिश्ता उलझन का शिकार रहता है।
14. ज़िन्दगी तुम्हारे उस गुण का ही इम्तिहान लेती है जो तुम्हारे भीतर मौजूद हो, मेरे अंदर इश्क़ था। ..
15. सभ्यता का युग तब आएगा, जब औरत की मर्ज़ी के बिना, कोई औरत को हाथ नहीं लगाएगा।
16. पैर खोलो तो धरती अपनी है, पंख खोलो तो आसमान …
17. इंसान भी एक समुन्द्र है, किसी को क्या मालूम कितने हादसे और कितनी यादें उसमें समायी होती हैं…
18. यह जो एक घडी हमने मौत से उधार ली है, गीतों से उसका दाम चुका देंगे…
19. कहानी लिखने वाला बड़ा नहीं होता, बड़ा वह है जिसने कहानी अपने जिस्म पर झेली है…
20. जितना तुझे लिखा गया ए इश्क़, सोचती हूँ उतना निभाया क्यों नहीं गया...
21. प्रेम में पड़ी स्त्री को तुम्हारे साथ सोने से ज़्यादा अच्छा लगता है.. तुम्हारे साथ जागना
22. स्त्री तो खुद डूब जाने को तैयार रहती है अगर समंदर उसके मन का हो तो ..
23. मैं उस प्यार के गीत लिखूंगी जो गमले में नहीं उगता, जो सिर्फ धरती पर उग सकता है
24. कई बातें ऐसी होती है जिन्हे शब्दों की सजा नहीं देनी चाहिए
25. भारतीय मर्द अब भी औरतों को परंपरागत काम करते देखने के आदी हैं, उन्हें बुद्धिमान औरतों की संगत तो चाहिए होती है, लेकिन शादी के लिए नहीं, एक सशक्त महिला के साथ की कद्र करना अब भी उन्हें नहीं आया है.
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एडिटर, पिंक कॉमरेड डेस्क
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