भईया का प्यारा गिफ्ट

 भईया का प्यारा गिफ्ट

अनिल और रीना का एक छोटा सा सुखी परिवार था। उनके तीन बच्चे थे ।अनिल जी एक सरकारी कर्मचारी थे और रीना एक ग्रहणी थी। पूजा अपने घर में सबसे छोटी थी। उसके दो बड़े भाई  करण और समर थे।  छोटी होने के कारण सबकी लाडली थी पूजा। दोनों भाई लोग भी उसे प्यार करते थे ।

बड़े भाई करण की पूजा से कभी लड़ाई नहीं होती थी। पूजा बड़े भैया से हमेशा डरती थी पर छोटा भाई समर उसके साथ खूब खेलता भी था और लड़ता भी।  बात-बात में चोटी खींच कर भाग जाए। पूजा रोते-रोते मां के पास जाए तो वह दूर खड़ा होकर उसको चिढ़ाता रहे।

 धीरे-धीरे कुछ सालों में बच्चे बड़े होने लगे। छोटा समर पढ़ने में बहुत ही अच्छा था और जरूरत पड़ने पर पूजा को भी पढ़ा देता था। यदि पढ़ाई मे पूजा को ना समझ आये तो उसकी चोटी खींच को रुला देता था। जिससे पूजा मन लगाकर पढ़ती। 

करण बड़ा होने के साथ-साथ समझदार भी था। घर के कामों में मां की बहुत मदद करता था। कोई भी घर में आए उसका सेवा, आदर- सत्कार करना करण को बखूबी आता था। छोटी सी उम्र में ही उसने दुनियादारी की सारी बातें सीख ली थी। उसको घूमने फिरने और तैयार होकर रहने का बहुत शौक था।

 एक बार उसके स्कूल से टूर आगरा बच्चों को घुमाने ले जा रहा था। करण भी मां से जाने की जिद करने लगा।  वो बोला "मां मेरे सारे दोस्त जा रहे हैं मुझे भी जाना है।" मां  ने उसका मन देख बोला "अच्छा तू चला तो जा, पर और बच्चों और टीचर के साथ ही रहना। इधर-उधर अकेला मत घूमना।"

 मां का दिल था, चिंता तो करना लाजमी था। पहली बार दो रात के लिए बच्चा घर के बाहर जा रहा था।
 "अच्छा मां ठीक है आप मुझे पैसे दे दो" 
"हां! हां ले लो पैसे"
  मां ने कुछ रुपए करण को दिए और बोला "इस को संभाल के रखना।"
"ठीक है मां"

 अगले हफ्ते जाना था करण को। करण सुबह जल्दी उठकर तैयार होकर पापा के साथ स्कूल पहुंच गया। सारे बच्चे वही इकट्ठे हो रहे थे।

 3 दिन बाद जब करण घूम के आया तो सबके लिए छोटे मोटे सामान लाया था। वह पूजा के लिए भी हाथी दांत का बना हुआ गले का सेट, कान का और क्लिप्स लाया।पूजा खुशी से झूम उठी। अगले दिन  स्कूल गई तो अपने दोस्तों को भी दिखाई उसके दोस्त भी बहुत तारीफ किए की बहुत ही सुंदर है तुम्हारा गिफ्ट। पूजा इठलाती हुए  बोली कि, अरे यह तो मेरे करण भैया लाए हैं। उनकी चॉइस बहुत अच्छी है।


एक हफ्ते बाद रक्षाबंधन था। पूजा ने पहली बार अपनी दोस्त से राखी बनाना सीख, घर में ही अपने भाइयों के लिए राखी बनाई। बहुत ही सुंदर राखी बनी थी।

  रक्षाबंधन के दिन पूजा सुबह उठकर  नए कपड़े पहन तैयार हो गई। फिर उसने वही सेट पहना जो करण भैया लाए थे तथा बालों में वही क्लिप भी लगाई, और पूजा की थाली को सजा, अपनी राखी रख भैया लोगों के पास पहुंची। वह दोनों भी नहा धो के नए कपड़े पहन के तैयार थे। पूजा को देखते ही मां ने कहा "अरे! वाह आज पूजा कितनी प्यारी लग रही है" तुरंत पूजा चहकते हुए बोली "भैया का लाया हुआ सेट पहनी हूं ना इसलिए  मां।" 
 पूजा की बात सुन सब बड़ी जोर से हंसे। पूजा भी मुस्कुराने लगी। फिर अपने दोनों भाइयों को टीका कर अपनी प्यारी राखी बांधी और मिठाई खिलाई। भाई लोग भी पूजा की बनी राखी देख बहुत खुश हुए। समर बोला "तूने तो बहुत अच्छी राखी बनाई है। देखो करण भैया, है ना प्यारी।"
"हांं यह तो बहुत सुंदर है।"

 दोनों भाइयों ने पूजा की बनाई राखी की तारीफ की और उसको प्यार से मिठाई खिलाया व गिफ्ट भी दिया। अनिल जी ने राखी बांधने की फोटो लेने के बाद परिवार की भी एक सेल्फी ली। इस तरह उस खुशहाल परिवार ने राखी का पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया।

 धन्यवाद 

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