कुछ डराती ,कुछ संदेश देती छोरी

पिछले कुछ महीनों में ओटीटी प्लेटफॉर्म पर कई हॉरर फिल्में रिलीज हुई हैं। इनमें से कई ने दर्शकों को डराने का काम किया है। लेकिन यह फिल्म छोरी एक ऐसी कहानी लेकर आई है, जो डराती भी है और साथ ही एक ऐसी प्रासंगिक कहानी कह जाती है, जो हमारे सामाज की बुराइयों के बारे में भी सोचने पर मजबूर करती है।
जैसा कि नाम से ही विदित है फिल्म ‘छोरी’ छोरियों की बात करती हैं।
कुप्रथाओं के नाम पर छोरियों यानी कन्याओं की हत्या और भ्रूण हत्या के खिलाफ सामाजिक संदेश "छोरी"
जैसा कि नाम से ही विदित है फिल्म ‘छोरी’ छोरियों की बात करती हैं। फिल्म ‘छोरी’ को निर्देशक विशाल फूरिया ने अपनी ही मराठी फिल्म ‘लपाछपी’ के रीमेक के तौर पर बनाया है। मूल फिल्म में जो रोल उषा नायक और पूजा सावंत ने किए, उनको इस हिंदी संस्करण में मीता वशिष्ठ और नुसरत भरुचा ने निभाया है।
कहानी का सार ये है कि इसमें एक गर्भवती महिला एक ऐसे परिवार के बीच फंस जाती है जिसके अतीत की कहानियां दिल दहला देने वाली हैं।
शापित कहानियों के काले टोटकों की कहानी हाल ही में दर्शक नेटफ्लिक्स की फिल्म ‘काली खुही’ में भी देख चुके हैं जिसमें लड़कियों को जन्म लेते ही जहर देकर मार दिया जाता है। मामला कुछ कुछ यहां भी वैसा ही है।
कुछ कमियां भी हैं, जिसे यहां इसलिए नहीं लिखा जा रहा क्योंकि इससे आपका फिल्म देखने का मजा किरकिरा हो सकता है, लेकिन इन्हें इग्नोर करे और एक बार देखें :छोरी" ।
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