Brahmastra Boycott किया क्या? एक सवाल जनता के नाम!

चलिए आज शुरुआत एक प्रसिद्ध दोहे से करते हैं “जाकी रही भावना जैसी प्रभु मूरत देखी तिन तैसी” ! इसका अर्थ शायद हम सब बहुत अच्छे से जानते हैं! मगर चलिए एक बार साथ मिलकर दोहराएं:
आपकी सोच और भावनाएं साफ़ है तो पूरी दुनिया आपको ईमानदार और साफ़ दिखेगी।
आसान शब्दों में समझें तो इसका अर्थ होगा ‘ अगर आपकी आँखों के सामने किसी भी तरह का हल्का या मोटा पर्दा पड़ा है तो आपका पर्दे के उस पार देख पाना बेहद मुश्किल होगा!
बस इसी से जुड़ा है आजकल वायरल हो रहा एक कांसेप्ट #बॉयकॉट यानी किसी चीज़, विचार, फिल्म या व्यक्ति का बहिष्कार करना। वजह चाहे जो भी हो!
हाल ही में रिलीज़ हुई बॉलीवुड फिल्म Brahmastra part one: shiva, थिएटर्स में काफी अच्छा प्रदर्शन कर रही है और अब तक 300 करोड़ क्लब का हिस्सा बन चुकी है! जैसा कि फिल्म के डायरेक्टर अयान मुख़र्जी ने भी अपने एक इंस्टाग्राम पोस्ट के ज़रिये अपने फैंस को बताया:
https://www.instagram.com/reel/CiZdL0-AUn0/?igshid=YmMyMTA2M2Y=
फिल्म रिलीज़ के बाद जब अयान मुख़र्जी से एक इंटरव्यू में पूछा गया कि क्या वे और उनके टीम #BoycottBhramastra ट्रेंड को लेकर चिंतित थे? तब उन्होंने जवाब में कहा “ हां, हमें परवाह थी कि लोग क्या कह रहे हैं लेकिन साथ ही हम शांत भी थे। यह आदर्शवादी लग सकता है, लेकिन हम अपनी फिल्म पर बहुत ध्यान केंद्रित कर रहे थे और फिल्म का संदेश प्यार के बारे में था और हमारे पास एक अच्छा कॉन्सेप्ट था जिसे हमारे पोस्टर पर भी दर्शाया गया था, 'प्रकाश आ रहा है,' इसलिए हमारे पास वास्तव में किसी और चीज के बारे में सोचने का समय नहीं था।
उन्होंने आगे कहा, "एक फिल्म निर्माता के रूप में, मैं सभी को Brahmastra इसे देखने के लिए आमंत्रित कर रहा हूं, जिसमें वे लोग भी शामिल हैं जो सभी शोर मचा रहे हैं और वे भी जो हमारी फिल्म से आश्वस्त नहीं हैं। हम चाहते हैं कि वे हमें एक मौका दें, हमने जो प्रयास किया है, हमने जिस तरह का वीएफएक्स किया है, उसे देखें क्योंकि मुझे लगता है कि पहले किसी भी फिल्म ने ऐसा नहीं किया है और जिस तरह से भारतीय पौराणिक कथाओं को चित्रित किया गया है, उसका अनुभव करें।
रिलीज़ के पहले अनगिनत सामाजिक और धर्म के ठेकेदार बने न्यूज़ चैनल्स, सोशल मीडिया ग्रुप्स और हिंदुत्व के नाम पर फिल्म Brahmastra part one: shiva, को कई अजीबो गरीब तरीके से #Boycott ट्रेंड का शिकार बनाने की भरसक कोशिश की गयी थी! जो कि नाकाम होती बखूबी नज़र आ रही है।
ज़रा गौर फरमाते इसी मुद्दे से जुड़े कुछ खास सवालों पर:
1. इस वायरल ट्रेंड #बॉयकॉट की आधारशिला क्या है? मतलब ये #Boycott ख़राब कंटेंट के प्रति जनता की नाराज़गी है, किसी व्यक्ति विशेष के प्रति नफरत और घृणा या फिर कोई पॉलिटिकल एजेंडा?
2. अपने पसंदीदा अभिनेता या अभिनेत्री की फिल्मों को सुपरहिट करवाने के लिए एक ही फिल्म को कई बार थिएटर में जाकर देखने वाली जनता, बिना कोई मज़बूत तथ्य जाने, मनोरंजन,कुछ छोटी बड़ी सीख के लिए बनायी गयी फिल्मों के प्रति इतनी नफरत कब से अपने दिल बसाने लगी?
3. क्या आप फिल्मों/किसी व्यक्ति विशेष/विचार को बॉयकॉट करने से पहले, एक पल रुककर ज़रा अपनी पसंद-नापसंद या सूझ-बूझ को याद रखते हैं या फिर भेड़-चाल का हिस्सा बनना आपकी आदत बन चुका है। पडोसी, रिश्तेदार, तमाम तरह के सोशल मीडिया ग्रुप और प्लेटफॉर्म्स जिनसे आप बिना किसी तर्क-कुतर्क किये जुड़े हैं, कहीं वो आपसे आपकी खुद की सोचने और समझने की क्षमता तो नहीं छीन रहे?
इस #बॉयकॉट ट्रेंड पर आपके क्या विचार हैं, कमैंट्स में शेयर कीजिये हमारे साथ।
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