दूध का जला छाछ भी फूंक-फूंक कर पीता है


यह उन दिनों की बात है जब व्हाट्सएप नया नया आया था और लोगों ने उसे सिर माथे रखा था।
क्यों ना हो, आखिर इसके द्वारा हम फोटो, चैटिंग, मैसेज सब झटपट साझा कर लेते है । मगर उन दिनों "डिलीट फॉर ऑल" का ऑप्शन नहीं था। सो जो एक बार मैसेज भेज दिया , तो भेज दिया ।डिलीट होना मुश्किल ही था।
हमारी एक सखी थी।
जिन्हें ढेर सारे मैसेज व फोटो भेजने का बेहद शौक था। कई बार तो वह बिना फोटो देखे और मैसेज पढ़े ही आगे फॉरवर्ड कर देती थी।
उन्हें लगता कि तरह ज्ञान बांट कर उन्होंने खुद को बहुत बड़ा ज्ञानी साबित किया है। भले ही उनके इन ढेरों मैसेजों के तले दूसरे का फोन दब जाए,व कराहने लगे , इस की वह बिल्कुल चिंता नहीं करती। अगर कोई उनके संदेशों की तारीफ करें, तो वह उसे ऐसे स्वीकार करती थीं, जैसे वह उनकी स्वरचित रचनाएं हैं।
उन्हें लगता था कि उन्होंने बहुत ही बुद्धिमानी का काम किया है जो इतनेेे सारे मैसेज एक साथ भेेज दिए।
उनकी ज्ञान की गंगा अनवरत प्रवाहित होती रहती थी। इसी क्रम में एक दिन कोई 50 मैसेज उन्होंने विभिन्न ग्रुपों में फॉरवर्ड कर दिए ,वह भी बिना देख।इन्ही मैसेजों में एक वीडियो भी था ।जो उनके 8 वर्षीय बालक ने बनाया था
जब वह अपनी 6 साल की बिटिया को मारपीट कर पढ़ा रही थी। कुछ ही दिनों में पूरे शहर में वह वीडियो इस तरह से फैल गया कि," देखो! यह निर्मम मां अपनी बेटी को कैसे पीट रही है! " बस फिर क्या था उनका घर से निकलना मुश्किल हो गया। बहुत दिनों तक तो उन्होंने फोन को हाथ तक नहीं लगाया।
आजकल भी वह मैसेज भेजती है मगर पढ़ कर और फोटो व वीडियो देख कर अाखिर दूध का जला छाछ भी फूंक-फूंक कर पीता है। हम सब भी राहत की सांस ले रहे है।
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