हां मैं नारी हूं श्रीमान

ईश्वर की मै श्रेष्ठ रचना
प्रकृति की अद्भुत कल्पना
संसार ने दिए मुझे कई नाम
हां, मैं नारी हूं श्रीमान।।
संतति उत्पन्न कर वंश बढाती
मकान को मैं घर बनाती
हर सांचे में , मैं ढल जाती
हां, मैं नारी हूं श्रीमान।।
घर बाहर सामांजस्य बिठाती
पुरूषों के कंधे से कंधा मिलाती
आत्मविश्वास से करती हर काम
हां, मैं नारी हूं श्रीमान।।
अंधरूढियों को मैं तोड़ती
नव पुरातन को सेतु बन जोड़ती
आधुनिकता में भी मर्यादा का रखती मैं ध्यान
हां, मैं नारी हूं श्रीमान।।
शिक्षा, अर्थजगत हो या विज्ञान
राजनीति,खेलजगत हो या सेवाकल्याण
विश्व पटल पर सबसे ऊपर मेरा नाम
हां , मैं नारी हूं श्रीमान।।
समाज के तय मानकों को दे चुनौती
गढ़ रही हूं, सफलता के नए प्रतिमान
आज बेटी से होती, पिता की पहचान
हां , मैं नारी हूं श्रीमान।।
सरोज ✍️
#अनकहे, अनछुए अहसास
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