हार गई हर चुनौती उसकी हिम्मत के आगे.....

हार गई हर चुनौती उसकी हिम्मत के आगे …….
आपकी मेहनत ,आपकी हिम्मत और आपकी दृढ़ इच्छाशक्ति…... जीवन में मिलने वाले किसी भी बड़ी से बड़ी चुनौती को भी हरा सकती हैं ।
आज हम बात कर रहे हैं ऐसे ही एक प्रेरणादायी व्यक्तित्व की जोकि शरीर में किसी कमी के होते हुए भी , जीवन की कठिनाइयों का मुकाबला हँसकर-बहादुरी से करते हुए हम सबके लिए एक मिसाल बन गई ।
उड़ीसा के एक छोटे से कस्बे कांटावाजी में जन्मी 'सारिका जैन' जिन्हें 2 साल की उम्र में पोलियो हो गया था । माता-पिता भी इतने सीधे-साधारण कि नहीं पता चला कि पोलियो होता क्या है। तब सारिका का 50% शरीर काम नहीं कर पा रहा था । उन्होंने लगभग डेढ़ साल तक कोमा की स्थिति को झेला । माता-पिता ने हार ना मानते हुए सब नीम-हकीम करते हुए उनका इलाज जारी रखा। चार साल की उम्र में लड़खड़ाते-गिरते हुए कदमों से चलना शुरू किया ।
बड़ी मुश्किलों का सामना करते हुए एक स्कूल में एडमिशन मिला क्योंकि उस समय इस स्थिति के बालक को कोई भी एडमिशन देने को तैयार नहीं था । परंतु आसान नहीं था उनका स्कूली सफर भी । बच्चों की तानाकसी , भारी बस्ते का बोझ , स्कूल के लिए तय की जाने वाली लंबी दूरी…. यह सब खूब चुनौतीपूर्ण था सारिका के लिए । परंतु बावजूद इन सबके कभी हौसले ने उनका साथ नहीं छोड़ा। हमेशा यही सोचकर वह आगे बढ़ जाती कि यदि इन सब बातों की तरफ ध्यान दे दिया तो फिर कभी आगे नहीं बढ़ पाएगी ।
सारिका ने बस इतना ठान लिया था कि उसके शरीर में पोलियो हो सकता है परंतु कभी उसके मन में नहीं । सारिका हमेशा डॉक्टर बनने की इच्छा रखती थी परंतु माता-पिता की आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी न होने के कारण गाँव में ही आगे की पढ़ाई करने की सोची ।
कॉमर्स विषय लेते हुए उन्होंने ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की। इसके बाद सी ए एग्जाम देने की ठान ली। घर बैठकर एग्जाम देने के बावजूद भी टॉप किया । अब माता-पिता की हिम्मत बँध चुकी थी । उनमें साहस आ गया था सारिका को आगे पढ़ाने के लिए ।
सारिका को अब आगे पढ़ने के लिए शहर जाने का मौका मिला । बहुत मेहनत की और मन से काफी मजबूत होने के कारण सी ए भी कंप्लीट कर दिया , वह भी 6 महीने पहले और तब वह बेस्ट स्टूडेंट अवार्ड से नवाजी गई । इसके बाद दिल्ली में एक साल में उन्होंने कड़ी मेहनत करने के बाद यू पी एस सी में रैंक हासिल कर लिया । सारिका ने 2013 में यू पी एस सी का एग्ज़ाम क्रैक किया था । अब सबका नजरिया सारिका के लिए बदल गया था । सारिका पहली ऐसी सी ए रही जोकि आई आर एस बनी ।
सारिका के शब्दों में ….. आपका जुनून ही आपको आगे लेकर जाता है ।
सच ही है कि अगर शिद्दत है तो परिणाम सामने ज़रूर आएँगे ।
शिक्षा , परिश्रम और दृढ़ इच्छाशक्ति आपको बहुत आगे ले जाती है , बस इनके पीछे यदि हम चलना सीख जाएं तो …..
सारिका जैन आपके ज़ज्बे को पिंक कॉमरेड का सलाम।
मधु धीमान
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