हरिवंश राय बच्चन की याद में

मृदु भावों के अंगूरों की आज बना लाया हाला
प्रियतम, अपने ही हाथों से आज पिलाऊंगा प्याला
पहले भोग लगा लूँ तेरा फिर प्रसाद जग पाएगा
सबसे पहले तेरा स्वागत करती मेरी मधुशाला
यह पंक्तियां पढ़ते ही हरिवंश राय बच्चन की याद आती है।
मधुशाला' को ही उनकी पहली किताब माना जाता है।
बोलचाल की भाषा में हिन्दी गीत के लेखन का श्रेय हरिवंश राय बच्चन को ही जाता है। इसके पहले हिंदी गीत व काव्य संस्कृतनिष्ठ हुआ करते थे।
हरिवंशराय बच्चन जी की एक और रचना
जीवन में एक तारा था, माना वह बेहद प्यारा था, वह डूब गया तो डूब गया, अम्बर के आनन को देखो, कितने इसके तारे टूटे, कितने इसके प्यारे छूटे, जो छूट गए फिर कहाँ मिले पर बोलो टूटे तारों पर, कब अम्बर शोक मनाता है, जो बीत गई सो बात गई....
हरिवंश राय बच्चन के कविता की यह पंक्ति कभी न कभी सभी ने सुनी भी होगी और इससे प्रेरित भी हुए ही होंगे।
हरिवंश राय बच्चन जी की कविताओं की खासियत यह है कि उन्होंने इनसानी जीवन की नीरसताओं को स्वीकार करते हुए भी उनसे मुंह मोड़ने के बजाय उसे खुशी मन से अपनाने की प्रेरणा दी।
हरिवंश राय बच्चन को उनकी कृति 'दो चट्टाने' के लिए 'साहित्य अकादमी पुरस्कार' से सम्मानित किया गया था. उन्हें 'सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार' और एफ्रो एशियाई सम्मेलन के 'कमल पुरस्कार' से भी सम्मानित किया गया. बिड़ला फाउन्डेशन ने उनकी आत्मकथा के 'क्या भूलूं क्या याद करूं मैं' के लिए सरस्वती सम्मान, भारत सरकार ने साहित्य जगत में योगदान के लिए पद्म भूषण से सम्मानित किया था।
लेखकों की फेहरिस्त में अलग पहचान रखने वाले हरिवंश राय बच्चन, बॉलीवुड मेगास्टार अमिताभ बच्चन के पिता भी हैं. 18 जनवरी को उनकी पुण्यतिथि पर अमिताभ ने पिता के नाम एक पोस्ट शेयर किया है।
एक्टर ने यह पोस्ट अपनी सोशल मीडिया साइट पर साझा किया है.
अमिताभ ने रविवार रात 1 बजकर 46 मिनट पर अपना यह पोस्ट शेयर किया है. समय को मद्देनजर रखते हुए उन्होंने लिखा- ''घंटा भर बीत चुका है और यह तारीख 18 जनवरी एक निराशाजनक दिन की याद दिलाता है...जब पूज्य बाबूजी ने अपनी आखिरी सांस ली थी. उनकी पुण्यतिथि उनके विचारों जो उन्होंने हमें दिया, को ध्यान में रखते हुए मनाई जाएगी. वो ज्ञान और नैतिक मूल्य जो उन्होंने हमारे अंदर बोया...हमें सबसे बड़ी प्रेरणा दी...कैसे गुमराह करने वाले सोच और कर्म के बीच जीना है ये सिखाया...ईश्वर हमारी मदद करें'
अनु गुप्ता
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