जो होता है अच्छे के लिए होता है

जो होता है अच्छे के लिए होता है

" तुमको देखा है मैंने... रोज़ आती हो यहां पर अंदर क्यों नही जाती"? एक लड़के की आवाज़ आयी...


ममता ने पीछे मुड़कर देखा तो एक 10-12 साल का गोलू मोलू लड़का खड़ा था।

ममता ने उसके प्रश्न का उत्तर दिए बिना मुँह दूसरी ओर कर लिया।

लड़का भी बिना कुछ कहे उसके बगल में जाके बैठ गया और ज़ोर से पैर हिलाने लगा.. 

"तुमको सुनाई नही देता क्या" इशारों से लड़के ने पूछा?

(उसके ऐसे इशारो से पूछने से ममता को हंसी आगयी)

"ऐसा कुछ नही हैं "ममता ने कहा..

लड़के ने कहा.. "तो उत्तर क्यों नही दिया प्रश्न का..?

"ममता ने कहा "बहुत से प्रश्न के उत्तर कहाँ मिलते है।"

लकड़े ने कहा "नाराज हो उनसे?

ममता ने उसको आश्चर्य से देखा फिर बोला.." तुमको कैसे पता"?

"सीधी सी बात हैअगर नाराज़ नही होती तो मंदिर के अंदर जाती"। लड़का बोला...

ममता ने कहा "साइज छोटा है तुम्हारा पर समझदार बहुत हो।"

नाम क्या है तुम्हारा"? ममता ने पूछा...

"विनायक नाम है " लड़का बोला..

अच्छा विनायक तुम्हारे मम्मी पापा कहां है? ममता ने पूछा..

"वो अंदर है वहाँ बहुत भीड़ है मुझे घबराहट हो रही थी तो मैं बहार आ गया ताज़ी हवा खाने" विनायक बोला...

ममता ने कहा " तुम मुझे "तुम" क्यों कहते हो आंटी या दीदी कहो मैं तुमसे कितनी बड़ी हूँ।"

"विनायक ने कहा मैं किसी रिश्ते में नही बंधता.. तुम मुझे अपना दोस्त ही समझो"..

ममता ने कहा "दोस्त "..अपनी उम्र देखी है."?. 

"दोस्ती की कोई उम्र नही होती" ममता के सामने खड़े होके विनायक बोला ..

"अच्छा अच्छा मेरे प्यारे दोस्त .. अब मैं चलती हूँ..

"आरती भी खत्म हो गयी और माँ भी आ रही हैं "ममता ने अपना पर्स कंधे पे लटकाते हुए कहा..

(दोस्त कल भी ज़रूर आना विनायक ने जोर से आवाज लगा के कहा)

("हां "ममता ने सर हिला के कह दिया)

दूसरे दिन ममता समय पे पहुँच गयी तभी पीछे से आवाज़ आयी "तुम आज भी मंदिर के अंदर नही जाओगी".. विनायक ने पूछा..

"अरे तुम कब आये मैंने देखा ही नही "ममता सकपकाते हुए पूछा..

"मै तो सदा यही रहता हूँ बस तुम लोग ही मुझे देख 
नही पाते हो "विनायक ने मुस्कुराते हुए कहा ...

"हाथ मे क्या है तुम्हारे ?"विनायक ने उत्सुकता से पूछा.?

"आज खीर बनाई थी तो सोचा तुम्हारे लिए ले आऊं .. तुमको पसंद है।??" ममता ने उसके तरफ खीर का डिब्बा बढाते हुए पूछा...

"वैसे तो मुझे मोदक बहुत पसंद हैं पर खीर भी चलेगी" 
कहते हुए खीर का डिब्बा हाथ से लेकर खाने लगा..

(ममता को बहुत अच्छा लग रहा था उसे चाव से खीर खाते हुए देख के)

विनायक ने कहा" दोस्त तुम यहाँ तक आके भी अंदर क्यों नही जाती"?

ममता कुछ सेकेण्ड चुप हो गयी फिर बोली.. ... क्या कहूँ तुम बहुत छोटे हो तुम समझ नही पाओगे।

विनायक ने खीर खाके अपना मुँह अपने हाथों से पोछ कहा" मेरे साइज पे मत जाओ मैं देखने मे बच्चा हूँ पर मुझ से बुद्धिमान कोई नही हैं। "

(उसकी बातें सुनकर ममता को हंसी आ गयी)

"अरे हँस क्यों रही हो अच्छा ये सोच के बता दो की अपनी मन की भड़ास निकाल रही हो"..


ममता कुछ समय चुप रही .. फिर बोली"शादी को 9 साल हो गए पर अभी तक मेरी गोद सूनी है। शादी के तीसरे साल माँ बनने का सुख नसीब हुआ पर वो भी केवल 9 महीने के लिए। डिलेवरी के बाद ही ..
ममता का गला भर आया.. 

सब मुझे ही ताने देते "और करो आराम से बच्चा .. शादी के तुरंत बाद ही कर लेती तो ये सब नही देखना पड़ता".. 
"उसके बाद हमने कितनी कोशिस की न जाने कितने डॉक्टर को दिखाया ,न जाने कितने मंदिर गए . कितने उपवास किये। मन्नते माँगी । मुझे शुरू से अपने भोलेनाथ पे विश्वास था।लेकिन धीरे धीरे वो विश्वास भी डगमगाता गया। सब कहते थे कि भगवान के घर देर है पर अंधेर नही।पर मेरे हिस्से में तो अंधेर ही है।"

"अच्छा विनायक चलती हूँ। समय हो गया।" ममता बोली..

"दोस्त कल मेरे लिए मोदक लाना नही भूलना" विनायक ने कहा..

(ममता ने अपने आँसू छुपा के मुस्कुराते हुए हां में सिर हिला दिया)

ममता को मोदक बनाने नही आते थे पर उसने यूट्यूब पे देख के बनाए ।दोनो के बीच एक अजीब सा रिश्ता था जो शब्दों में बयान नही हो सकता था।

(अगले दिन)

"ले आयी मेरे मोदक".. मोदक का डिब्बा हाथ से लेते हुए बोला..
ममता ने कहा "तुमको कैसे पता कि मैं मोदक ही लायी हूँ?"

"खुशबू दूर से ही पहचान जाता हूँ मोदक की" एक मोदक मुँह में डालते हुए विनायक ने कहा..

दोस्त तुमने कहा था" कि कुछ प्रश्न के उत्तर नही मिलते ऐसा क्यों कहा?

"विनायक तुम्हारे कान तो बहुत तेज़ है वो तो मैंने बुदबुदाया था और तुमने सुन लिया"..ममता बोली..

"ये तो सही कहा मेरे कान हाथी की तरह बड़े हैं।"देखो हाथी की नकल उतारते हुए बोला".. .

बताओ न क्यों कहा था? विनायक बोला..

"बहुत से प्रश्न हैं जिनके उत्तर तुम्हारे भगवान के पास नही है जिनके उत्तर मांग मांग के थक गई।" ममता में उसके सर पे हाथ फहराहते हुए कहा..

"कैसे प्रश्न? विनायक ने उत्सुकता से पूछा..

"बच्चे हो तुम सारी बाते नही बता सकती तुमको" ममता बोली..

"मुझे सबके मन की बात पता होती है".. विनायक ने बोला..

"अच्छा तो क्या पता है तुम्हे मुझे बताओ"..ममता ने मुस्कुरा के पूछा..

"ये ही कि अगर माँ बनने का सुख देना नही था तो 9 महीने में कोख में क्यों रखा ?मेरे मन मे के भाव क्यों जगाए?"

(ममता आश्चर्य से देखती रही विनायक को। तभी मां आ गई और वो बिन कुछ कहे चली गयी)

(अगले दिन)..

"इतनी देर क्यों कर दी? ममता ने विनायक के आते ही पूछा?..

"उनसे तुम्हारे प्रश्न के उत्तर पूछने गया था" विनायक ने कहा..

"अच्छा तो मिल गया उत्तर". .. ममता ने बैग से लड्डू का डिब्बा निकालते हुए कहा..

हां मिल गया विनायक ने लड्डू का डिब्बा लेते हुए कहा..

ममता ने अपने चहेरे पर बनावटी हँसी लाते हुए बोला "तो क्या कहा तुम्हारे भगवान ने"..

"तुम्हारी गोद इसलिए भरी जिससे तुममें एक माँ का भाव जागे और छीनी इसलिए क्योंकि वो नही चाहता कि तुम सिर्फ एक बच्चे की माँ बनके रहो। तुम्हारा बच्चा होता तो तुम उसी के ही मोह में रहती ।तुमको सैकड़ो बच्चो को अपनी ममता की आँचल में समेटना है. "
जो होता है अच्छे के लिए होता है... जिसके पीछे कोई न कोई कारण अवश्य होता है।

तभी लोगो की भीड़ आती देखी सब कह रहे थे कि "गणपति बप्पा मोररिया" 

गुलाल और नगाड़े की आवाज़ ज़ोर ज़ोर से सुनाई दे रही थी.. 

ममता ने आस पास देखा तो विनायक नही था..ममता के सामने गणपति की मूर्ति थी जो कुछ लोग उठाके विसर्जन के लिए ले जा रहे थे ..

"गणपति बप्पा मोरियया अगले बरस फिर आना"
के नारे लगाते झूंमते नाचते जा रहे थे..

ममता को आज सारे प्रश्न के उत्तर मिल गए थे स्वंय विनायक जो आये थे उसको उत्तर देने.. आज उसे अपने जीने का असली मकसद मिल गया था.. ममता भी भाव विभोर होके ज़ोर से बोलते हुए ।
"गणपति बप्पा मोरियया अगले बरस फिर आना" भीड़ में शामिल हो गयी।


धन्यवाद
ऋचा आनंद

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