खुशियों का पार्सल

कोमल किचन में दोपहर का खाना बना रही थी। पीहू खेल रही हैं और उसके पति आकाश बाहर बैठे न्यूज चैनल देख रहे थे। खबर आ रही थी कि ,"भारत में कोविड 19 तेजी से अपने पैर पसार रहा हैं । मुंबई में मामले तेजी से बढ़ रहे हैं।"
ये सुनकर आकाश को चिंता हुई क्योंकि उसकी छोटी बहन अमृता जो कि एक डाक्टर हैं। वह मुंबई में ही हैं और वही अपनी स्वास्थ्य सेवाएँ दे रही हैं।
इतने में डोरबेल बजती हैं। आकाश बाहर जाकर दरवाजा खोलते हैं तो बाहर डाकिया एक पार्सल लेकर खड़ा हैं। पार्सल लेने से पहले वह उसे अच्छी तरह से सैनेटाइज करते हैं और फिर कुछ देर के लिए वह उसे बाहर ही रख देते हैं।
कोमल पुछती हैं ,"कि कौन था?"
आकाश कहते हैं कि, " डाकिया आया था, कोई पार्सल देकर गया हैं। खाना खाकर फिर देखेंगे अभी मैनें बाहर ही रख दिया हैं।"
खाना खाकर के थोड़ी देर बाद आकाश बाहर से पार्सल अंदर ले आता हैं। उसे खोलकर देखता हैं तो उसमें चार राखियाँ, अक्षत,कुमकुम और एक पूजा की थाली भी हैं।
साथ में स्माईली के साथ कागज पर नोट भी लिखा हैं कि," मेरे प्यारे भैया,भाभी और लाडली पीहू के लिए।"
इसे पढ़कर आकाश की आँखो से खुशी के आँसू छलक पडे़। बचपन से लेकर आज तक दोनों भाई-बहन हर साल साथ में रक्षा बंधन का त्यौहार मनाते हैं। यह पहली बार हुआ हैं जब अमृता उसके साथ नहीं हैं।
ये देखकर मासुम पीहू कहती हैं कि,"मम्मी देखो पापा रो रहे हैं।"
तो कोमल उस से कहती हैं कि,"नही बेटा आपके पापा रो नहीं रहे। आपकी बुआ जी ने इतना सारा प्यार राखियों के साथ भेजा हैं उसकी खुशी हैं ये तो। "
मासुम पीहू फिर कुछ समझ नहीं पाई।
आकाश ने उसी वक्त अमृता को काॅल किया पर रिसीव नहीं हो पाती शायद व्यस्त थी वह। शाम को अमृता का वीडियो काॅल आता हैं।
आकाश कहता हैं कि, " तो ये था तेरा रक्षा बंधन का सरप्राइज। बहुत अच्छा था पर तुम आती तो और भी अच्छा लगता हम सबको। पहले तो मुझे लगा था कि तु खुद आने वाली हैं। अब कब आओगी वो जल्दी बताओ। "
अमृता कहती हैं कि, " भाभी आप भईया को समझाइए ना मैं नहीं आ सकती। मेरा काम ही ऐसा हैं आपको तो पता हैं ना सब।एक डाक्टर होने के नाते मेरा पहला फर्ज दूसरों की जिंदगी बचाना हैं।"
कोमल कहती हैं कि," आप चिंता ना करो।आपको पता हैं ना ये ऐसे ही आपकी टांग खिचाई करते हैं फिर किस बात की टेंशन। आप अपना ख्याल रखना।"
अमृता कहती हैं, " जी भाभी मैं अपना पुरा ख्याल रख रही हूँ आप भी चिंता मत किजिए। हम कोरोना को जरुर हराएगे।"
छोटी पीहू भी बीच में बोल पडती हैं, " मेरी बुआ बेस्ट हैं,वो सुपर वुमन हैं। वह जरूर कोरोना को हराएगी मम्मी पापा आप देखना।"
आकाश कहता हैं कि, " हाँ बेटा तेरी सुपर वुमन हैं।वो जरूर जीतेगी।"
अमृता कहती हैं, " भैया, भाभी आप पीहू से मेरे नाम की राखी बंधवा लेना। पार्सल से इसलिए राखी भेजी ताकि रक्षा बंधन के दिन मेरे भाई भाभी की कलाई सुनी ना रहे।"
आकाश कहता हैं कि, " रक्षा बंधन तो परसों हैं।ले अभी तेरे सामने ही पीहू से राखी बंधवा लेता हूँ। बाद में तुझे बात करने को समय पता नहीं कब मिले।"
कोमल कीचन में जाकर पूजा की थाली में चारों राखियाँ, अक्षत, कुमकुम ,मिठाई रख और एक दीप जलाकर ले आती हैं।और पीहू को थाली लाकर दे देती हैं।
आकाश पीहू से, " बेटा ये राखी मुझे और आपकी मम्मी की कलाई में बांधो। "
पीहू अपने छोटे छोटे हाथों से पहले अपने पापा को फिर मम्मी को राखी बांधती हैं। अक्षत और कुमकुम का तिलक लगाकर दोनों को मिठाई खिलाती हैं। और फिर आरती उतारती हैं।फिर कोमल पीहू के राखी बांधती हैं।
पीहू थाली में रखी चौथी राखी उठाकर कहती हैं कि," पापा ये एक राखी बुआ के नाम की रह गई। अब बुआ को कैसे बांधू। "
अमृता कहती हैं, " कोई बात नहीं बेटा अगली बार जब मैं आऊ तब बांध देना।
आकाश अमृता से कहता हैं कि, " बड़ा भाई तो मैं हूँ पर इस वक्त तुम एक भाई का फर्ज निभा रही हो।लोगों की सेवा कर रही हो।"
अमृता कहती हैं," भैया हम डाक्टरस को शपथ ही मानव
सेवा कि दिलाई जाती हैं। यही हमारा कर्तव्य हैं। अच्छा भैया,भाभी मैं आपसे बाद में बात करुगी। अभी एक बार होस्पीटल भी जाकर आना हैं। आप सब अपना ख्याल रखना और बिना वजह घर से बाहर मत जाना। पीहू बेटा बुआ बाद में आपसे बात करेगी"
पीहू कहती हैं," ओके बुआ आप भी अपना ख्याल रखना। "
कोमल और आकाश भी कहते हैं, " तुम भी अपना ख्याल रखना और टाइम मिलते ही काॅल जरुर करना। "
और कॉल कट जाता हैं।
इस कहानी के माध्यम से ये कहने का प्रयास हैं कि कोरोना काल में आप सब अपना और अपने परिवार का ख्याल रखे। जनता की सेवा में लगे डाक्टर और कोरोना योद्धाओ का सम्मान किजिए और उनकी डयूटी को सही तरीके से निभाने में उनकी मदद किजिए।
और रक्षा बंधन के इस पर्व पर आप मायके नहीं जा पा रही हैं तो अपने भाई,भाभी को पार्सल के जरिए भी राखी भेज कर अपना रक्षा बंधन मना सकते हैं।
स्वरचित
सुमन
#भाईऔरमेराबचपन ( रक्षाबंधन स्पेशल)
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