किसान का बेटा

मैं बहुत छोटा था तो अपने पिता को खेतों में मेहनत करते देखता था मेरे बाबा सिर्फ आंठवी तक पढ़े थे क्योंकि उस समय गांव में स्कूल नहीं होते थे आगे की पढाई करने के लिए शहर जाना पडता था और मेरे बाबा एक छोटी किसान परिवार से संबंध रखते थे | मेरे बाबा पढना चाहते थे लेकिन मजबूरी बस आगे पढ़ नहीं पाये|
बाबा बहुत मेहनत से खेती करते थे उस पर हल चलाते थे लेकिन फिर भी घर की जरूरत पूरी नहीं हो पाती कभी प्रकृति की मार, कभी दलालों की दलाली से हम सब परेशान हो जाते थे लेकिन बाबा अपनी उसी लगन से लगे रहते एक बार बाबा ने मुझसे कहा "जुगनू बेटा, मैं तो नहीं पढ़ पाया पर मैं चाहता हूँ कि तुम खूब पढो और बहुत बडे़ सरकारी अफसर बनो जिससे तुम गरीब किसान की मदद कर सको और कोई किसान भूखा न मरे और वो आत्महत्या को मजबूर न हो"|
मैं भी बहुत मेहनत से पढ़ने लगा अब तो हमारे गांव में भी इंटर कॉलेज खुल गया था मैंने गांव से ही इंटर किया आगे की पढाई के लिए मुझे शहर जाना पड़ा मुझे वजीफा मिलने लगा पर हास्टल की फीस देना मुश्किल हो रहा था बाबा ने कही से उधार लिया | मैंने बाबा से बोला आप उधार मत लो मै टयूशन पढा कर पैसे का इंतजाम कर लूँ गा | बाबा ने कहा तुम सिर्फ अफसर बनने का ध्यान दो रूपयों की चिंता न करो | फिर मै हास्टल में रहने लगा | एक बार बाबा मुझसे मिलने आये हास्टल के गेट से कहलवाया कि बोल दो कोई गांव वाला आया है| मैं गया सोचा देखूँ कौन आया जाकर देखा तो मेरे बाबा थे| मैनें बाबा से कहा बाबा आपने ये क्यों कहा कि कोई गाँव वाला आया है और आप सीधे मेरे कमरे में क्यों नहीं आये |
बाबा आंख में आंसू लाते हुये बोले तुम्हारे साथ बडे़ लोगो के बच्चे रहते हैं तुम्हारे दोस्त होगे मुझे ऐसे पुराने कपडों में देखेगें तो तुम्हे शायद अच्छा न लगता मैं बाबा को ऐसे चौक कर देखता रहा मैने कहा आपने ऐसे कैसे सोच लिया आप मेरे पिता हो और मैं जो हूँ आपकी बदौलत हूँ|
मैं बाबा का हाथ पकड़ कर उनको अंदर ले गया और अपने दोस्तों से मिलवाया " दोस्तों ये है मेरे बाबा जो एक किसान है हमारे देश के अन्न देवता है और मैं जो हूँ इनकी बदौलत हूँ और आगे भी जो करूँगा वो भी इनकी प्रेरणा से ही करूँगा |बाबा आप तो मेरे आर्दश हो आगे से कोई भी गलत बात मन में न लाइये आपके संस्कार इतने कमजोर नहीं है जो आपका बेटा भूल जायेगा |हम बाप बेटे अपनी बातों से मन हल्का कर रहे थे तभी मेरे दोस्त चिल्ला कर बोले " जय जवान जय किसान "
स्वरचित
श्रुति त्रिपाठी
#my father my hero
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