माँ(कविता)

माँ
तुम ही मेरी ज्ञान का सागर
तू ही माँ शिक्षा काआधार
हर अक्षर माँ तुमसे जाना
मैं अज्ञानी, मूढ़ थी मैं
अथाह सागर को तुमसे पहचाना
मेरे सुख -दुःख की साथी
पथ प्रदर्शक तू ही माँ
अच्छा करूं तो हौसला बड़ाती
भटकूँ मैं तो राह दिखाती
तेरे प्यार को थोड़ा समझूँ
तुमसी सीख न मुझमें माँ
संस्कार मेरे तेरी परछाई
सारे जहाँ मे ना तुमसा माँ
स्नेह का अद्वितीय खजाना
तुम से जिंदगी का सफर सुहाना
एकता कोचर रेलन( हरियाणा)
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