मेरी पहली होली

आज होली है। माँ, चाची व भाभीयां तो होली की तैयारी काफी दिन पहले से ही शुरु कर देती हैं। संयुक्त परिवार है तो इतने लोगों के लिए डेली खाना, नाश्ता व बाकी के कामों के चलते इन एक्स्ट्रा कामों के लिए वक्त ही कहां मिल पाता है।
इसमें भी फिर सबकी पसंद अलग, फरमाइश अलग, जितने सदस्य हैं उनकी उतनी ही फरमाइशों के अनुसार सब व्यंजन बनाने में वक्त भी तो बहुत लगता है।
इसलिए घर की सभी औरतें त्यौहार आने से पहले ही तैयारियां करनी शुरु कर शुरू कर देती हैं। ताकि फिर वो सब भी पूरे परिवार के साथ त्यौहार को अच्छे से एन्जॉय कर सकें।
सब बहुत खुश हैं। केवल प्रिया के चेहरे से ही खुशी गायब है। हर बार होली पर वो कितनी खुश - खुश रहती थी। सब भाई - बहनों के साथ मिलकर होली पर खूब धमाल मचाती थी।
परंतु तीन साल पहले के हादसे ने उसकी खुशियों के साथ - साथ उसकी जिंदगी के सब रंग ही छीन लिए।
शादी के कुछ दिनों के बाद जब वो हनीमून से लौट ही रहे थे। और गांव में सब के साथ अपनी पहली होली मनाने के लिए आ रहे थे। तभी रोड एक्सीडेंट में ये हादसा हो गया। प्रिया को बहुत चोटें आई और पति विशाल वो तो हमेशा के लिए ही बिछड़ चुका था उस एक्सीडेंट में।
ससुराल वालों ने उसे अपशगुनी बता कर हमेशा के लिए उसे मायके में ही छोड़ दिया। कभी उसकी सुध ली ही नहीं। और फिर हर होली पर प्रिया अपना रूम बंद करके विशाल को याद करते हुए आंसू बहाती रहती।
लेकिन इस बार होली पर उसके भाई शुभम के कुछ दोस्त भी शहर से यहां आए हुए थे। शुभम के दोस्तों में कुछ लड़कियां भी थी तो उसे मजबूरी वश उनके साथ बाहर सबके बीच रहना पड़ रहा था।
सभी लोग त्योंहार के रंग में रंगे हुए थे। और खुशी से एक दूसरे को रंग लगा रहे थे। बस प्रिया को छोड़कर।
तभी शुभम के दोस्त आकाश ने पीछे से आकर प्रिया के गालों पर गुलाबी रंग लगा दिया। प्रिया ने गुस्से में पीछे मुड़ कर देखा।
तभी आकाश मुस्कुराते हुए बोल उठा, " तुम्हारे गालों पर ये गुलाबी रंग व तुम्हारे चेहरे की ये गुस्से भरी लाली बहुत अच्छी लग रही है। मैं पूरी जिंदगी इसे यूं ही देखना चाहता हूं। क्या तुम मुझे अपनी जिंदगी में आने की इजाजत दे सकती हो ? "
घर के सभी सदस्य दूर खड़े होकर ये सब देख रहे थे। प्रिया ने सभी की तरफ देखा, अपनी बेटी के दुख से वो भी बहुत दुखी थे।
सभी सदस्यों ने प्रिया व आकाश के रिश्ते के लिए तुरंत अपनी स्वीकृति दे दी।
तो प्रिया भी जिंदगी में आई अपनी खुशियों को भला कैसे नकार सकती थी। उसकी खुशियों की ये पहली होली है। उसने भी मुस्कुरा कर आकाश के सवाल का जवाब अपनी हाँ से दे ही दिया।
© पुष्पा श्रीवास्तव
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