ना नौ मन तेल होगा ना राधा नाचेगी

ना नौ मन तेल होगा ना राधा नाचेगी

विज्ञान, तकनीक और आविष्कारों ने जीवन कितना सहज बना दिया है, परन्तु इतनी सहजता कभी कभी नुकसानदेह भी सिद्ध हो सकती है।

प्राची और सुजीत दोनों मल्टीनैशनल कंपनी में कार्यरत थे। उनकी मेहनत और लगन से उनके पास किसी चीज़ की कमी नहीं थी। सारे ऐशो आराम के साथ साथ उनकी प्यारी सी इकलौती सन्तान पांच साल का वेदांत उनकी पूरी दुनिया की खुशियों को साकार करते हुए था। वेदांत के मांगने से पहले हर चीज हाथ में होती थी। घर में स्मार्ट टीवी, वाई-फाई, स्मार्ट फोन, टेबलेट, पी ऐस गेम, सब कुछ था। वैसे भी इंसान किस लिए कमाता है ताकि परिवार को खुश रख सके पर किस कीमत पर?

धीरे धीरे प्राची ने देखा कि वेदांत अब ना तो खिलौने से खेलता है और ना ही दूसरे बच्चों के संग घुलता मिलता है। हर समय एक गैजेट् से उठ कर दूसरे के साथ व्यस्त हो जाता था। अगर उसके हाथ से फोन या टैब ले लिया जाए तो उठा पटक तोड़ फोड़ मचाने लगता था। वेदांत की आँखे लाल हो जाती और पानी भी आने लगता। प्राची और सुजीत दोनों ही अपने बच्चे के इस व्यवहार से बहुत दुखी और चिंतित हो गए थे। उन्हों ने तय किया कि चिकित्सीय परामर्श लिया जाए। डॉक्टर ने देखते ही घोषणा की और उन्हें सदमा दिया, "आपका बेटा गैजेट्स की लत का शिकार हो चुका है, आंखो मे चश्मा तो लगेगा ही पर अगर आपने कंट्रोल नहीं किया तो ब्रेन को क्षति पहुंच सकती है।
       प्राची और सुजीत सुन्न हो गए, ऐसे कैसे.. हम ने अपने ही हाथो अपने बच्चे का भविष्य अंधकार मय कर दिया। खैर वेदांत जिद्दी हो चुका था, जबरदस्ती नहीं कर सकते थे। प्यार से समझाने पर उसने कहा, "मम्मा पापा, आप लोग भी तो यूज करते हैं, मुझे क्यों रोक रहे हैं? अगर आप यूज़ करेंगे तो मैं भी करूंगा "। . प्राची ने सुजीत से बात की और बहुत सारे बोर्ड गेम्स लाई, और बिना वेदांत की जानकारी के  वाई-फाई हटवा दिया, और बाकी सारे गैजेट्स को भी कुछ यूं किया कि लगे खराब हो गया है। साथ ही अपने लिया लैंड लाइन फोन लगवा लिया और जरूरी काम करके लैपटॉप उसके स्कूल से आने के पहले छिपा देते थी। और वेदांत के आने के बाद उसके साथ गेम्स खेलती।
   ये करना ज़रूरी था क्योंकि "ना नौ मन तेल होगा, ना राधा नाचेंगी", वह हरएक कोशिश मे लगी थी कि वेदांत की शर्त पूरी ही ना हो और बिना जोर जबरदस्ती उसका काम भी हो जाए। धीरे धीरे वेदांत की लत छूटने लगी और सुजीत - प्राची ने अपनी डूबते भविष्य को बचा लिया था।

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-सुषमा तिवारी

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