क्या बच्चे के जन्म के बाद बहू के लिए एक महीने का आराम काफी है ?

प्रसव की पूरी प्रक्रिया में माँ पर प्रभाव पड़ता है क्योंकि यह उनके शरीर पर बहुत तनाव डालता है। माँ काफी नाजुक अवस्था में होती है, क्योंकि उसकी सारी ऊर्जा बच्चे को जन्म देने पर केंद्रित हो जाने के कारण उसकी इम्युनिटी बेहद कमजोर होती है ।तो ऐसे में क्या एक महीने का आराम उसके लिए काफी होता है ?
जानिए पिंक कॉमरेड के विचार -
प्रियंका दक्ष
नहीं ऐसा नहीं होता हैं, डॉ भी कम से कम 3महीने का आराम बोलते हैं। बच्चें के जन्म के बाद औरत एकदम कमजोर हो जाती हैं, एक महीने में कैसे रिकवर कर सकती हैं, अगर 1महीने में सही हो जाये तो बाद में होने वाले बैकपेन, शरीर में कमजोरी जैसी बीमारियों से परेशान रहती हैं। इसलिए पहले ही आराम कर ले ताकि ख़ुश स्वस्थ रहे और परिवार को स्वस्थ रख सके,चाहे बहु हो या बेटी ।
संयुक्ता त्यागी
अगर आपने दूसरे बच्चे को जन्म दिया है तो आप चाह कर भी एक महीने का आराम नहीं कर सकती, फिर परिवार कितना भी सहयोगी क्यों ना हो।
प्रतिमा पोद्दार
एक महीना काफी तो नहीं है । घर के स्थिती पर निर्भर करता है कि आपके पास कितने और कैसे हेल्पर हैं ।यदि तीन महीना आराम मिल जाए तो बाद में आने वाले कई समस्याओं से काफी हद तक बच सकते हैं ।
अर्पणा जैसवाल
एक महीना काफी नहीं होता है।अगर आपका बच्चा नॉर्मल हुआ है तो आप के खान-पान का असर जल्दी दिखने लगता है।लेकिन बच्चा सिजेरियन से होने पर शरीर को अन्दर से हुष्ट-पुष्ट होने में समय लगता है, क्यूंकि बहुत सी चीजें मना होती हैं।
मेरी बड़ी बेटी के समय हम मायके थे,वहां हमने पूरे तीन महीने आराम किया।लेकिन छोटी बेटी के समय मेरी सास मेरे पास थी। मैनें एक हफ्ते बाद ही काम करना शुरु कर दिया। क्यूंकि मुझको अच्छे से खाना नहीं मिल रहा था,जिससे मुझे दूध नहीं हो रहा था और बेटी भी भूख से रोती थी।मजबूरन मुझे ही किचन सम्भालना पड़ा। अब यह उस वक़्त आराम न कर पाने की वजह से है या किसी और कारण से, उसके बाद मुझे कभी भी अचानक चक्कर आ जातें हैं।
दीप्ति डी एस
१ महीना क्या एक दिन में ही खड़े हो कर काम करने लग जाए ज़्यादातर परिवार वाले सोचते हैं बहु कितनी भी सेवा और खिश्मत में लगी रहे परन्तु उम्मीद बिलकुल कर ही नहीं सकती के उसकी गर्भावस्था या बच्चे को जन्म देने के बाद उसकी भी कोई सेवा कर दे बल्कि मैंने तो ये देखा है की लड़की के घर से ही किसी को बुला लिया जाता है उसकी माँ को या बहन किसी को भी या फिर सवा महीना होते ही मायके भेजने की तैयारी कर देते हैं।आराम की बात की जाए तो ३ महीने तक तो शरीर ही ऐसा रहता है कि हम चाह कर भी नहीं कर पाते पर मजबूरी और ताने सब कुछ करवा देते हैं हमने भी इतने बच्चे पैदा किए हैं जैसी कहानियों से।पूरे ३ साल लग जाते हैं शरीर को दुबारा से किसी हद्द तक उसी हालत में आने में।३ महीने तक तो पूरा आराम और देखभाल की ज़रूरत है बहु के लिये।
ममता गुप्ता
डिलीवरी के बाद कहा आराम करने दिया जाता है। 5 दिन बाद ही काम पर लगा दिया जाता ये कहकर की नॉर्मल डिलेवरी ही तो हुई है। ताने दिए जाते है कि हमारे जमाने मे तो पता ही नही चलता था कि जापा भी हुआ है इधर बच्चा पैदा हुआ नही 2 दिन बाद ही काम मे लग जाते थे ।आज की बहुये तो बस जब से पता चलता है माँ बनने वाली हैं तब से ही आराम करने
लगती हैं। ये ताने सुनकर कौन करने देगा आराम।
सीमा प्रवीण गर्ग
1 महीने का आराम काफी नहीं होता है ।नॉर्मल डिलीवरी हो तो फिर भी थोड़ा कुछ खाने को मिल जाता है ,तो हम कुछ कर सकते हैं पर सिजेरियन में तो 3 महीने से पहले कोई कमजोरी भरती ही नहीं, पर क्या करें ? हमें करना पड़ता है। क्योंकि यह कमजोरी सिर्फ हम मां अंदर ही महसूस कर सकती हैं बाहर वालों को तो लगता है कि 15 दिन हो गए ,और नहीं तो कुछ बैठे-बैठे 8 दिन बाद ही अपने आगे कपड़े धुले कपड़े पड़ जाते हैं कि इनकी बैठे-बैठे तह बना लो या कपड़े सुखा दो ।
अब इनसे कोई पूछे कि अंदर तक पूरा खून निकल गया कैसे काम करें। हमने तो पहले बच्चे में भी 15 दिन बाद ही, सिजेरियन ऑपरेशन में भी अपने और बच्चे के कपड़े खुद ही धोकर सुखाने शुरू कर दिए और दूसरे में तो 15 दिन नाम लिखवा कर मायके चली गई तब जाकर थोड़ा सा और महीना 15 दिन का आराम मिल गया इसलिए लेडीस को 3 महीने का आराम तो जरूर मिलना चाहिए ।मां को रात भर बच्चे के साथ भी जगना पड़ता है क्योंकि सासू मां कह देती हैं हमारे बस की नहीं है कि दिन में काम करो रात को तुम्हारे बच्चे को देखो इसलिए माँ तो चाह कर भी इतने लंबे टाइम आराम नहीं कर सकती ।
सिजेरियन में खाने को ही एक डेढ़ महीने बाद मिलता है और अगर टांके पक गए तो वह भी नहीं मिलता और मुश्किल खड़ी हो जाती है ।"यही सुनने को मिलता है हमारे बच्चे तो ऐसे ही हो गए ,हमने तो काम करते करते बच्चे जने और काम करते करते ही बच्चे पाल लिए।"
संगीता त्रिपाठी
आराम तो यदि संभव हो तो तीन महीने करना चाहिए..। पर आजकल सबके पास समय की कमी हो गई है... तो ये संभव नहीं हो पाता। जिनको कोई मदद नहीं मिल पाती तो वे दस पंद्रह दिन में काम शुरू कर देते है..।
सक्सेना सोनिका
बिल्कुल नहीं। हमारे समाज में बहुत सी परम्परा ऐसी है जो बदलनी चाहिए। आजकल तो एक महीना भी आराम का नहीं मिलता। आज सारे परिवार एकल है ऐसी स्थिति में बहुत परेशानी होती है। ऐसे में पति पत्नी को आपसी तालमेल बनाना जरूरी होता है। ऐसे में जच्चा के आराम के लिए नौकरियां होना आवश्यक है जिससे उस पर खाना बनाना और बच्चे का ध्यान रखना बस इतनी ही जिम्मेदारी हो। जच्चा ज्यादा से ज्यादा वक्त आराम कर सके क्योंकि शरीर अंदर से बहुत कमजोर होता है। मालिश करवाना बहुत जरूरी होता है उससे शरीर की कमजोरी और दर्द निकल जाता है।
अगर आप समलित परिवार में है तो परिवार का सहयोग आवश्यक होता है परन्तु यह सहयोग ही अधिकाशतः नहीं मिलता। मेरी सभी बहनों को सलाह है कि सारी जिन्दगी वह अपने परिवार की सेवा करें कोई हर्ज नहीं है लेकिन डिलीवरी के बाद एक साल सिर्फ खुद को एहमियत दें क्योंकि यह एक साल आपकी बाकी जिन्दगी में आपके स्वास्थ्य के लिए अनिवार्य है जिसकी कीमत डिलीवरी के 5-6 साल बाद आपको पता चलेगी। वर्तमान समय में खुद अपनी देखभाल करनी होगी।
अनिता सिंह
एक महीने का आराम काफी नहीं होता अगर आप ससुराल में हो तब तो बिल्कुल ही नहीं लेकिन अगर आप अकेले पति के साथ हो तो फिर हेल्पर की मदद ली ज सकती है इसके लिए पति को सपोर्ट बहुत जरूरी है मैं lucky हूँ इस मामले में पति बच्चे को अच्छे से संभाल लेते थे बाकी हेल्पर की मदद ली तो जो गया।परिवार की महिलाओं को सोचना चाहिए कि नई मां को कितने आराम की जरूरत होती है क्योंकि वह भी इससे गुजर चुकी होती है लेकिन कोई इस बात को समझता नहीं है सब यही बोलते हैं कि हमने भी तो बच्चे पैदा किए थे तुमने अनोखा बच्चा पैदा किया क्या करें जब औरत ही नहीं समझती तो पुरुष कहां से समझ लेंगे।
अनु गुप्ता
हमारे यहां सबसे बड़ी समस्या यह है की एक औरत ही औरत का दुख नहीं समझती ...माँ बनने के बाद एक औरत का दूसरा जन्म होता है बड़े लोग ऐसा कहा भी करते थे । और उसे बहुत ज्यादा आराम की जरूरत होती है ।लेकिन एक औरत ही दूसरी औरत के लिए नहीं समझ पाती कम से कम 3 महीने का अराम तो चाहिए ही ....यह थोड़ा कम और ज्यादा भी हो सकता है यह होने वाली मां के स्वास्थ्य पर निर्भर करता है लेकिन अधिकतर माओं को इतना आराम मिल नहीं पाता।
रुचि श्री
कई घरों में तो एक महीना भी नहीं मिलता।और नॉर्मल डिलीवरी हो तो फिर भी खाने पीने में थोड़ा ध्यान दिया जाता है जैसे लड्डू ,घी का सामान, गुड़ आदि।मगर ऑपरेशन से हो गर डिलीवरी हो तो डॉक्टर ने हिदायत दी है तो ना लड्डू ,ना खाने में घी आदि।मालिश का सुख तो मिलने से रहा ।हालांकि इन अनुभवों की साक्ष्य नहीं हूं मैं।मेरी डिलीवरी भी नॉर्मल और घर का माहौल भी नॉर्मल।मगर आस पास से सुना जरूर है ।
हालांकि मेरा मानना है कि डिलीवरी होने के बाद ये आराम १ महीने या ज्यादा समय ,इससे ज्यादा इस बात पे गौर करना चाहिए कि महिला को आराम के साथ पोषण पूरा मिले और सब कुछ सामान्य होने के बाद भी स्त्री भावनात्मक और शारीरिक रूप दोनों तरीके से स्वस्थ रहे ।
एक औरत अगर अपना ध्यान अच्छे से रखेगी तभी पूरे घर का ध्यान रख पाएगी।
दीपिका राज सोलंकी
एक शिशु को जन्म देने के साथ, स्त्री का दूसरा जन्म होता है, शरीर के साथ-साथ उसको मानसिक स्तर पर आराम की आवश्यकता होती है। डिलिवरी नॉर्मल हो या सिजेरियन महिलाओं को परिवार के प्रत्येक व्यक्ति की मदद की आवश्यकता होती है। 9 महीने की पीड़ा के लिए 1 महीने का आराम शारीरिक तथा मानसिक रिकवरी के लिए बहुत कम समय है। बच्चे के साथ रात भर जागना और सुबह सारा काम करना उस के लिए कई बीमारियों का कारण बन जाता है।
डॉ भारती वर्मा
बच्चे के जन्म के बाद तीन महीने का आराम अति आवश्यक होता है जिससे प्रसव के बाद कमजोर हुआ शरीर धीरे-धीरे वापस अपनी शक्ति प्रदान कर सके। हमारे समाज में सास की पदवी प्राप्त महिलाओं का इस ओर कोई ध्यान नहीं होता। बेटा हुआ तब सारा ध्यान वंशबेल बढ़ाने वाले पोते पर केंद्रित हो जाता है और जो बेटी हो गई तो दोनों ही उपेक्षित होती हैं, आराम मिलना तो दूर की बात है।
आराम केवल मायके में ही मिल सकता है और वह भी तब.. जब माता-पिता दोनों हों, तभी वे पूरी तरह जच्चा-बच्चा का ध्यान रख पाने में सक्षम होते हैं। दोनों में से एक हो तो वे स्वयं अकेले या अपने बच्चों के साथ रहने पर सक्षम नहीं होंगे। आराम तो तीन महीने तक मिलना अति आवश्यक है नहीं तो आगे चल कर परेशनियाँ होती हैं।
सुमन जी
जी नहीं एक महिना काफी नहीं हैं। बच्चे के जन्म के साथ माँ का भी नया जन्म होता हैं माँ को पुरा आराम मिलना चाहिए ।वरना भविष्य में बहुत दिक्कत होती हैं। एक महिने में माँ का शरीर सही नहीं हो पाता फिर भी उसे घर का काम में लगा दिया जाता हैं। मेरी दीदी की डिलीवरी हुई तब दीदी तीन महीने तक कोई काम नहीं करवाया उसे पुरा आराम मिला। और खाना भी उसे बिस्तर पर भी मिलता था।
हमारे यहाँ डिलीवरी के बाद दो- तीन महीने कुछ काम नही करवाया जाता माँ से।और सी- सेक्शन डिलीवरी में छह महिने तक कोई काम नहीं करवाया जाता।जो की बहुत सही भी हैं इस दौरान माँ को पुरा आराम मिल जाता हैं और भविष्य में कोई दिक्कत नहीं आती।
नयी माँ को एक महीने से ज़्यादा आराम के साथ ज़रूरत भावनात्मक सपोर्ट की भी। अगली चर्चा में एक नए विषय पर हमारी बेबाक पिंक कॉमरेड्स क्या कहतीं हैं , उसके साथ हम जल्दी ही वापस आएंगे।
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