सयुंक्त परिवार में जब हो बच्चे की परवरिश

सयुंक्त परिवार यानि कि, खुशियों का खजाना , सुख हो या दुख ! सभी एक दूजे के सांझे होते हैं बस प्यार ही प्यार होता है व एक दूजे के प्रति आपसी सहयोग की भावना संयुक्त परिवार में ही देखने को मिलती है |
संयुक्त परिवार का जन्म ही सुरक्षा के लिये हुआ है | आज के दौर में परिवार बंटते जा रहे हैं | लोग रोजगार की तलाश में गांव से शहर व प्रांत से दूसरे प्रांत या विदेश भी जा रहे है उनके इस तरह से पलायन करने से परिवार एकल होते जा रहें हैं जहां बच्चों की परवरिश करना मुश्किल होता है पर संयुक्त परिवार में ऐसा नहीं है।
संयुक्त परिवार में घर के बुजुर्ग जैसे दादा - दादी , चाचा -चाची , बुआ सभी बच्चे पर अपना प्यार लुटाते हैं साथ ही वे उनकी देख रेख भी अच्छे से करते हैं | सयुंक्त परिवार में जब बच्चों की परवरिश होती है तब बच्चों को बहुत सी अच्छी आदतें सीखने को मिलती हैं उनका शारीरिक विकास ही नहीं बल्कि मानसिक विकास भी बहुत अच्छे से होता है इसके अलावा अन्य बातें हैं जिन्हें बच्चे सयुंक्त परिवार में सीखते हैं जैसे :-
1, सयुंक्त परिवार में बच्चों को अकेलापन महसूस नहीं होता वे परिवार के सदस्यों से घुलमिल जाते हैं |
2, सयुंक्त परिवार में बुजुर्ग बच्चों से अपने जीवन के हर अनुभवों को सांझा करते हैं जिनके अनुभव बच्चों को भविष्य में काम आते हैं साथ ही बुजुर्ग , बच्चें को अच्छी अच्छी आदतें सिखाते हैं |
3, संयुक्त परिवार में जिन बच्चों का लालन पालन होता है उनमें परस्पर एक दूसरे के प्रति आदर भावना पैदा होती है बच्चे सभी का आदर सम्मान करना सीखते हैं |
4, सयुंक्त परिवार में दादा - दादी , नाना - नानी के साथ रहने वाले बच्चे अपनी संस्कृति व परम्पराओं को सीखते हैं उनके अंदर अपनी विरासत से जुड़ाव हो जाता है |
5, संयुक्त परिवार में रहने वाले बच्चे अपनी सभ्यता से जुड़ते हैं , त्यौहारों के महत्व को समझते हैं व उनके मन में एक साथ त्यौहारों को मनाने की भावना पैदा होती है | जो कि बच्चों के विकास के लिये बेहद आवश्यक है |
6, संयुक्त परिवार में जिन बच्चों की परवरिश होती है वे गलतियों को करने से डरते हैं व उनमें झूठ बोलने की आदत कम होती है साथ ही उनमें वस्तुओं को सांझा करने की आदत बन जाती है
अमेरिका में 1996 का एक शोध में पता चलता है कि बच्चे अगर दादा दादी के साथ पले बढ़ें हैं तो उनमें धूम्रपान और शराब पीने की आदत कम होती है |
ये तो थे संयुक्त परिवार में बच्चों की परवरिश के फायदे | पर , इसके साथ ही यह भी जानना अतिआवश्यक है कि कई बार संयुक्त परिवार में रहकर बहुत से अभिभावक बच्चों की बात नहीं सुनते बस घर के सदस्यों की ही बातें सुनते हैं जिनसे बच्चों को अंदर से महसूस होता है कि उनकी परवाह किसी को नहीं | कई बार बच्चों का स्वभाव बहुत जिद्दी हो जाता है ऐसी स्थिति से बचने के लिये परिवार के साथ साथ बच्चों का भी ध्यान रखें व उनकी बातों को सुनकर उनके फैसले का भी सम्मान करें
धन्यवाद
रिंकी पांडेय
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