शुरु हो रहा है खरमास: अब नहीं होगा कोई भी शुभ कार्य

शुरु हो रहा है खरमास: अब नहीं होगा कोई भी शुभ कार्य

शादी हो या जन्मदिन या कोई भी शुभ काम हम ग्रहों की दशा देखकर ही पूजन करते है और कोई भी शुभ काम करते है. लेकिन एक समय ऐसा आता है कि हम कोई भी शुभ काम नहीं कर सकते ऐसे समय को खरमास कहते है.शास्त्रों के अनुसार बृहस्पति को विवाह और वैवाहिक जीवन का कारक माना गया है, इसलिए सूर्य के बृहस्पति की राशियों में प्रवेश करने पर खरमास लगता है.

हिंदू धर्म में कोई भी मांगलिक या धार्मिक अनुष्ठान करने से पहले शुभ मुहूर्त देखा जाता है. ज्योतिष में ग्रह और नक्षत्रों की गणना के आधार पर शुभ मुहूर्त तय किया जाता है. ऐसे में खरमास में कोई शुभ कार्य नहीं होता. कुछ दिनों पहले देवउठनी एकादशी के साथ ही शादियों के सजीन की शुरुआत हुई थी,अब जल्द ही खरमास भी आने वाला है. हिंदू पंचांग के अनुसार जब खरमास या मलमास लगता है तो उस दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार, खरमास के दौरान सूर्य की चाल धीमी होती है इसलिए इस दौरान किया गया कोई भी कार्य शुभ फल प्रदान नहीं करता है. वहीं ज्योतिष में भी खरमास के दौरान कोई भी शुभ कार्य करना वर्जित माना जाता है.

ज्योतिष के अनुसार, साल में दो बार खरमास लगता है. जब सूर्य मार्गी होते हुए बारह राशियों में एक राशि से दूसरी राशि में भ्रमण करते हैं तो इस दौरान बृहस्पति के आधिपत्य वाली राशि धनु और मीन में जब उनका प्रवेश होता है तो खरमास लगता है. इस तरह से मार्च माह में जब सूर्य मीन राशि में प्रवेश करते हैं तब खरमास लगता है तो वहीं दिसंबर में जब सूर्य धनु राशि में प्रवेश करते हैं तब खरमास लगता है।

इस समय सूर्य की उपासना करने का विशेष महत्व माना जाता है. खासतौर पर जिनकी कुंडली में सूर्य कमजोर स्थिति में हो उन्हें खरमास के दौरान सूर्यदेव की पूजा जरूर करनी चाहिए.

इतना ही नहीं, ये भी कहते हैं कि इस दौरान गुरु के स्वभाव में उग्रता आ जाती है. हिंदू धर्म में सूर्य को महत्वपूर्ण कारक माना जाता है, ऐसे में सूर्य की कमजोर स्थिति को शुभ नहीं माना जाता बृहस्पति को देवगुरु कहा जाता है और उनके स्वभाव में उग्रता शुभ नहीं होती,इसलिए खरमास मास में किसी भी तरह के मांगलिक कार्य की रोक लगा दी जाती है.हिंदू पंचाग में इस महीने को पौष का महीना कहा जाता है.

इस बार खरमास के महीने की शुरुआत 16 दिसंबर से हो रही है और 14 जनवरी के दिन इसका समापन होगा। इस दौरान सभी मांगलिक कार्य जैसे शादी, सगाई, यज्ञोपवीत, गृह प्रवेश, मुंडन आदि तमाम शुभ कार्यों पर रोक लग जाती है इसके साथ ही, नया घर या वाहन आदि खरीदने की भी मनाही होती है।

खरमास को लेकर एक पौराणिक कथा प्रचलित है-

भगवान सूर्यदेव सात घोड़ों के रथ पर सवार होकर लगातार ब्रह्मांड की परिक्रमा करते है. सूर्यदेव को कहीं भी रुकने की इजाजत नहीं है, लेकिन रथ में जुड़े घोड़े लगातार चलने और विश्राम न मिलने के कारण थक जाते हैं. घोड़ों की ऐसी हालत देखकर सूर्यदेव का मन भी एक बार द्रवित हो गया और घोड़ों को तालाब के किनारे ले गए, लेकिन सूर्यदेव को तभी यह भी आभास हुआ कि अगर रथ रुका तो अनर्थ हो जाएगा. जब वे तालाब के पास पहुंचे तो देखा कि वहां दो खर मौजूद हैं भगवान सूर्यदेव ने घोड़ों को पानी पीने और विश्राम देने के लिए वहां छोड़ दिया और खर यानी गधों को रथ में जोड़ लिया.गधों को सूर्यदेव का रथ खींचने में काफी जद्दोजहद करनी पड़ रही थी। इस दौरान रथ की गति हल्की हो गई. जैसे-तैसे सूर्यदेव इस दौरान एक मास का चक्र पूरा करते है. इस बीच घोड़े भी विश्राम कर चुके होते है इसके बाद सूर्य का रथ फिर से अपनी गति में लौट आता है इस तरह हर साल ये क्रम चलता रहता है और इसीलिए हर साल खरमास लगता है।

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