सुनहरे दिन दूरदर्शन के संग

सुनहरे दिन दूरदर्शन के संग

जी हां दूरदर्शन का नाम सुनते ही अनेक तरह के दृश्य आंखों के सामने तैर जाते हैं जिनमें कुछ तो बहुत ही हतोत्साहित करते थे जैसे सुबह नहा धो के नाश्ता करना और रामायण, महाभारत हर रविवार के दिन देखना और बाहर सड़कों का सन्नाटे से भर जाना। 

"अथ श्री महाभारत कथा..." यह गाना अभी भी याद है मुझे सुर के साथ। 'ब्योमकेश बक्शी' का डिटेक्टिव वाला सीरियल और कुछ खुद भी डिटेक्टिव पंती गाजर खाते झाड़ना 'करमचंद जासूस' के जैसे।

'लाल किले के रहस्य' को देखते ऐसी सरसराहट पूरे शरीर में फैल जाती थी कि एक कमरे से दूसरे कमरे में जाने के लिए भी कदम नहीं उठते थे। 'चंद्रकांता' का विषैला साँपो के जहर का प्याला और क्रूर सिंह अभी भी याद है।

हर शाम 'चित्रहार' का इंतजार करते और गाना सोचते कि अगला कौन सा आएगा बाद में हमारे पड़ोसी वाले भैया जो दूरदर्शन में थे, हमें चित्रहार में आने वाले गानों की सूची दे जाते जिससे हम चित्रहार आने के समय अन्य लोगों को बताते "देखो अब इस गाने के बाद अगला गाना ये आएगा और गाना आते ही हम दोनों बहनें खिलखिला कर हंसते। 

फिर सर्कस, फौजी, दिल दरिया, उड़ान , मालगुडी डेज़ जैसे मनभावन कार्यक्रम दिल जीत लेते थे।

बाद में आया 'देख भाई देख' जिसने सिखाया परिवार में हंसते खेलते जीना और मुसीबत के वक्त साथ रहना। 'देख भाई देख', सारा भाई वरसेस सारा भाई, येे जो है ज़िन्दगी, जैसा कॉमेडी सीरियल अब शायद ही कभी बनेगा।


कई विज्ञापन जैसे "अटेली बटली डिलीशियस अमूल कहना, या बच्चों का स्कूल टाइम एक्शन शूज, जब रोशनी देता बजाज, जलेबी खाके चले जाना और सबसे मजेदार "मान गए- किसे... आपको और आपकी पारखी नजर ललिता जी... वाशिंग पाउडर निरमा" हा हा हा... जो आज भी याद करते ही चेहरे पर मुस्कान आ जाती है। दिन बड़े ही सुहाने थे दूरदर्शन के कार्यक्रमों के संग।

उम्मीद करती हूँ आपके चेहरे पर भी मुस्कान ले आए होंगे ये मज़ेदार दूरदर्शन के कार्यक्रम।

धन्यवाद
हैप्पी{वाणी}राजपूत

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