ये कौन सा रूप है ?

कल अष्टमी के दिन वो सुबह सुबह खिलखिलाती हुई मेरे पास आई, ओर चहकते हुए बोली आपकी वो लाल साड़ी देदोगी मुझे? मै उसे कातर दृष्टि से देख रही थी...
वो जानती थी कि मैं नवरात्रि में गांव की सभी लड़कियों को अपनी सारी मंहगी साड़ियां गरबे में पहनने के लिए दे देती हूं लेकिन बस वो लाल साड़ी नहीं देती ...
कारण था की वो मेरी शादी की निशानी है ओर बेहद नाज़ुक भी।
मैने पूछा तू जानती हे बस वहीं साड़ी में नहीं देती तो क्यूं ज़िद कर रही है ? और कोई सी पसंद कर ले ना!
लेकिन वह उसी जिद पर अड़ी थी मैंने सोचा बच्ची है, बारह तेरह साल की है औ,कुछ पसंद कर लेगी मान लेगी।
फिर बोली मुझे गरबे में नहीं पहनना मुझे तो मेरी शादी में पहनना है अ,तो दे दोगी ना मैं!सुनकर स्तब्ध थी शायद कुछ गलत कह दिया या कुछ गलत सुन लिया गया! मैंने उसे उस वक्त भेज दिया फिर शाम को आरती के वक्त जब उसकी मां काम पर आई तो बोली बेटी की शादी पक्की कर दी है। मैंने कहा क्या इतनी छोटी सी बच्ची की शादी तय कर दी तुमने? तुम्हें क्या चिंता है मैं पढ़ा रही हूं ना उसे! सिखा रही हूं उसे घर की सारी चीजें फिर क्यों जल्दी कर रही हो? तोवह बोली स्कूल की फीस भरने के लिए पैसा चाहिए होता है मालकिन! पहनने को कपड़े भी चाहिए होते हैं! उससे बड़ी बात पेट भरने के लिए रोटी की भी जरूरत होती है ! घर में अब कुछ नहीं है !उसे भूखा मरता कैसे देखूं और आप भी कब तक मदद करोगी! गरीब जहां पेट भर जाए वहीं पर पलते हैं फिर,यह तो लड़की जात है पराए घर जाना है तो क्यों ना आज ही भेज दू?
मैंने उसे खूब समझाया कि अभी वह बहुत छोटी है सिर्फ 13 साल की अभी शादी की जिम्मेदारी कैसे उठाएगी! शादी एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी है! वह बोली लड़की जात है खुद पर बोझ आएगा तो अपने आप हर हाल में जीना सीख जाए गी। मैं समझ नहीं पा रही थी कि उसे कैसे समझाऊं जबकि उसकी बच्ची बहुत समझदार थी होशियार थी बहुत जल्दी हर चीज सीख लेती थी। मैंने खुद उसे मेहंदी सिलाई लिखना पढ़ना सिखाया था और उसने सब कुछ बड़े दिल से सीखा भी हूं था लेकिन आज उसकी मां की गरीबी के आगे उसकी सीख और उसका हुनर बोने नजर आ रहे थे।
अगले दिन आज सुबह वो लड़की फिर मेरे पास आई आप मुझे वह साड़ी नहीं दोगे अच्छे अच्छा मैं शादी वाले दिन पहन कर अगले दिन जब आपके पास पढ़ने आऊंगी तो वापस दे जाऊंगी।
मैं समझ नहीं पा रही थी नवरात्रि में मैं कभी किसी को मना नहीं करती इसे हां कहूं या ना कहूं? क्या गरीबी के आगे देवी भी मजबूर हैं या यह मेरी कोई परीक्षा है दरवाजे पर यह देवी का कौन सा रूप है जिसे मैं दिल से स्वीकार नहीं कर पाए पा रही हूं।जिसे ये भी नहीं पता कि शादी के बाद उसे इस घर को छोड़ कर जाना होगा।
या इसकी गरीब मां को स्त्री शक्ति के हर हाल में जी जाने की शक्ति का अहसास ओर अटूट विश्वास है।
जो भी हो हर हाल में मातारानी से उसकी खुशहाली की कामना करती हूं।
#स्त्री तेरे रूप अनेक
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