ऐसे करें स्वयं का डीटॉक्सीफीकेशन

ऐसे करें स्वयं का डीटॉक्सीफीकेशन
बाकी अंगों की तरह त्वचा भी हमारा एक अंग है और यह अंग सबसे बड़ा है। हमारी त्वचा साँस भी लेती है और यह जितनी साफसुथरी होगी उतनी ही आसानी से साँस ले पायेगी और स्वस्थ रहेगी। त्वचा में और शरीर के अन्य भागों में भी जहरीले पदार्थ एकत्रित होते रहते हैं। इन्हें दूर करके पोषण देना डीटॉक्सीफीकेशन कहलाता है। डीटॉक्सीफीकेशन से शरीर के अंग जैसे गुर्दे, फेफड़े, आँतें और त्वचा से विषैले पदार्थ बाहर निकल जाते हैं और शरीर को पोषण मिलता है और त्वचा साफ होती है।
शरीर के भीतरी अंग-
भीतरी अंगों के डीटॉक्सीफीकेशन के लिये पानी पर्याप्त मात्रा में पीना चाहिये। खास कर गर्मियों में तो पानी की मात्रा और बढ़ा देनी चाहिए। पानी जितना अधिक पियेंगे उतना ही वह पसीने व मलमूत्र के रूप में बाहर निकलेगा और अपने साथ विषैले तत्वों को भी निकाल देगा।
भोजन में स्वास्थ्य वर्धक चीजों का समावेश हो। फल और सलाद दही छाछ इत्यादि को भोजन में सम्मिलित करें।
कभी कभी उपवास करें। ऐसे में आप तरल पदार्थों का सेवन अधिक से अधिक करें। नींबू पानी, ताजे फलों का जूस, नारियल पानी, छाछ इत्यादि डीटॉक्सीफीकेशन के लिए बहुत बढिया हैं।
योग, प्राणायाम व ध्यान अपनायें। यह आन्तरिक शुद्धि करके दिमाग को शांत रखने में समर्थ है।
त्वचा का डीटॉक्सीफीकेशन-
अब बात करते हैं त्वचा के डीटॉक्सीफीकेशन की।
इसके लिए आप फेशियल मैनीक्योर पेडीक्योर अपना सकती हैं।
शरीर की मालिश करिये। पूरे शरीर पर उबटन का प्रयोग कीजिये। शरीर पर स्टीम बहुत अच्छी विधि है डीटॉक्सीफीकेशन की। आप कभी कभी सौना बाथ ले सकती हैं। यदि सम्भव नहीं तो मालिश करके टॉवल से हॉट टॉवल स्टीम लें।
बाथ टब में गुनगुना पानी भर कर थोड़ा नमक व नींबू डाल दें। उसमें कुछ देर बैठ कर स्नान कीजिए। नहाने के पानी में कोई एसेन्शियल ऑयल रिलैक्सेशन के लिये डालिये। उसमें कुछ देर बैठिये।
बहुत तरीके हैं शरीर को डीटॉक्स करने के। जो आपको बेहतर लगे वह अपनाइए। पर सबसे जरूरी बात यह है कि सदैव सकारात्मक रहें, प्रसन्न रहें।
अर्चना सक्सेना
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