बेटी वंश की बेल क्यों नही ?

मैं खडंन करती हूं ऐसे समाज जहां बेटियो को वंश की बेल नही पराया धन कहा जाता है। और ऐसे संकीर्ण सोच रखने वालों का भी।…….सही मायने मे बेटी ही वंश की बेल है।
बहु मुझे पोता ही चाहिए मधु की सास बोली...मधु पढ़ी लिखी थी…..क्यू माजी ,अरे पोता होगा वंश की बेल आगे बढ़ेगी, घर मे खुशी आयेगी। मधु शांत मन कर लेती है।………
मन मे सोचती है, अगर बेटा न हुआ तो,घर मे खुशियां
नही आयेगीं ऐसा क्यू ?मधु ने सोचा एक बार मानव से बात करती हैं।
मधु मानव से कहती है अगर बेटी हुई तो क्या हमारी खुशियां कम हो जायेगीं। मानव कैसी बात करती हो, आजकल बेटा,बेटी मे अन्तर
कहा है,जहां तक मै समझता हूं, बेटे से बेटी ज्यादा अच्छी होती है।……….पर तुम क्यू पूछ रही हो ?
पर मां जी रोज कहती हैं पोता चाहिए। मधु वैसे मां को मै समझा दूंगा कि बेटा बेटी दोनो बराबर है। पर तुम पढ़ी लिखी हो नौकरी भी करती हो, हो सकता तुम मुझसे ज्यादा अच्छे से समझा सकती हो।जैसे ही मधु कमरे से बाहर निकलीं सासू मां ने शुरु कर दिया अब तो पोते का ही मुह देखूगी।
तभी मानव और मधु मां को समझाते है। मां आजकल बेटा और बेटी मे कोई अन्तर नही है,अब बेटियाँ बेटों से आगे निकल रही है मधु कहती है मां आजकल बेटियाँ चाँद पर पहुंच गयी।
तो आप ही बताओ बेटियां बेटो से कैसे हुई। मां बेटी भी वंश की ही बेल होती है .तब मधु की सास बोली मधु बेटी ,मानव बेटा तुम दोनों ने मेरी आखे खोल दी। अब चाहे जो हो जाये ,
दादी तो मुझे बनना है। और मधु को गले लगा लिया।
पढ़कर अपनी राय जरुर दे।
#परम्परा
मौलिक
Nandini…..,,✍️✍️✍️
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