बेटियाँ

दुनियाभर में लड़का और लड़की में भेदभाव की घटनाएं सामने आती हैं। बालिकाओं को उनके अधिकारों से वंचित रखा जाता है। बहुत सारे ऐसे मामले सामने आते हैं, जिनमें बालिकाओं को उनके जन्म से लेकर उनके पालन-पोषण के दौरान उन्हें शिक्षा, स्वास्थ्य और मानवाधिकारों को मारा जाता है।मेरी कविता बालिकाओं के अधिकार पर आधारित है।
#बेटियाँ .....
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आज सब राष्ट्रीय बालिका दिवस की दे रहे बधाई ,
कल फिर होगी देश में बेटे और बेटी के भेदभाव की लड़ाई ।
हमारे समाज में आज भी ,
कुछ परिवार नहीं चाहते बेटियां ...
पता होते ही कोख में मार दी जाती हैं बेटियों ।
जब आती त्यौहार की बात ,
तो पूजी जाती हैं बेटियाँ ....
तो फिर कोख में क्यूँ मार दी जाती हैं बेटियों
विद्या देने वाली माँ सरस्वती चाहिए,,
धन दौलत के लिए माँ लक्ष्मी चाहिए ,,
क्या वह बेटी का रूप नहीं है...?
क्या वो माँ का रूप नहीं.....?
माँ,बीवी ,बहन बहू...
हर रिश्ता एक बेटी से ही तो है,
सब कुछ चाहिए बस बेटी नहीं चाहिए।
आखिर क्यों?????
बेटी होगी तो रिश्ते बनेगें,,
यही बेटी तो घर की खुशी ...
सुकून ,धन दौलत ...
सब उसी से है ।
एक लड़की ही हर कदम पर पुरुषों को संभालती है,
माँ, पत्नी ,बहू ,बहन, दोस्त बनती है ।
फिर भी क्यूँ पैदा होने से पहले मार दी जाती है ....?
अपनी उस बेटी को दुनिया में आने दो ..
वह एक नन्ही सी जान ,
आपकी कामयाबी की उड़ान ,
आपकी तरक्की ,
आपकी खुशियो का ,
कारण बन सकती है ,
उसे दुनिया में लाकर खुशी खुशी से से जीने दो ।
#अनकहेभाव #अनछुएअहसास
Seema Praveen Garg
स्वरचित (मौलिक रचना)
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