बहुत हुआ सुनना सुनाना,अब चाहिये अपनी शर्तो पर जमाना

शालू मैं फिर कह रही हूँ, तुझे दामाद जी के पास वापस लौट जाना चाहिये। ठीक है इंसान से गलती हो जाती है, लेकिन अब मान भी तो रहे हैं ना अपनी गलती। लेकिन अब तू जिद पकड़कर बैठी है।
माँ आप एक औरत होकर भी मेरी पीडा़ नही जान पा रही हो। आप तो सब अच्छे से जानती है कि मेरे साथ उस नीच आदमी ने क्या किया। उस आदमी को बस अपनी यौनिक तुष्टि चाहिये और कुछ नही- बोलते बोलते शालू का गला भर्रा गया था।
लेकिन शालू की माँ ने एक बार फिर उसे समझाने की कोशिश करते हुए कहा- लेकिन शालू अपने नही तो अपने होने वाले बच्चे के भविष्य के बारे में तो सोच।
उसके बारे में ही सोचकर तो उस जानवर के पास ना जाने का फैसला लिया है मैने। उसने तो कोई कसर नही छोडी़ थी बच्चे को मारने में।
आपको तो पता ही है जब डाक्टर ने कुछ कोम्पलिकेशन होने की वजह से मुझे बैड रेस्ट के लिये बोला था और हम पति पत्नि को दूर रहने के लिये कहा था। लेकिन रमेश(पति) ने हमेशा की तरह मेरी इच्छा अनिच्छा की परवाह न करते हुए शारिरीक संबंध बनाया। मेरा नही तो कम से कम बच्चे के बारे में तो सोचा होता। मुझे ब्लीडिंग भी होने लगी थी। वो तो सही समय पर मुझे इलाज मिला और मैं यहाँ आ गयी। अब दूसरो के कहने पर रमेश मुझसे माफी मांग रहा है। लेकिन वो कभी नही बदलेगा माँ। जिसने अपने होने वाले बच्चे की भी परवाह नही की, उससे क्या उम्मीद की जा सकती है।
और जहाँ तक बात मेरी और मेरे बच्चे की है तो मै अपने दम पर सब कुछ कर दिखाऊंगी।
मैं अपने बच्चे को पालने में पूर्णतया सक्षम हूँ। मैंने अपनी पुरानी कंपनी में बात कर ली हैं। डिलीवरी के बाद मैं वहाँ ज्वाइन कर लूंगी। बस अब और मानसिक और शारीरिक उत्पीड़न मैं नही सहूंगी।
#एकनयीसोच
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