ब्रेन स्ट्रेचिंग से दिमाग को दुरुस्त रखें

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बढ़ती उम्र के साथ याददास्त का घटना स्वाभाविक है, अगर बढ़ती उम्र के साथ दिमाग को चुस्त-दुरुस्त रखना है तो ब्रेन स्ट्रेचिंग द्वारा दिमाग को क्रियाशील रखा जा सकता है। उम्र बढ़ने के साथ दिमागी परिवर्तन जायज़ है जैसे की कम सुनाई देना, आँखों की रोशनी कम होना, शारिरीक कमज़ोरी और याददाश्त का कम होना। पर ब्रेन स्ट्रेचिंग हमारे दिमाग की कारगर दवाई साबित हो सकता है।
अपनी मनपसंद एक्टिविटिज़ में पूरी शिद्दत और आनंद लेते जूट जाने से दिमाग कार्यरत रहेगा। स्ट्रेचिंग मतलब खींचना और खींचने से किसी भी चीज़ का लचीलापन बढ़ता है। इसी तरह कुछ एक्टिविटिज़ में व्यस्त रहने से दिमाग का लचीलापन भी बरकरार रहता है।
जैसे की संगीत सुनना दिमाग को खुशनुमा रखने का सुंदर ज़रिया है। संगीत मनोभाव को प्रभावित करता है संगीत सुनने से दिलों दिमाग में सकारात्मक उर्जा का उद्भव होता है। गीत, गज़ल या भजन जो भी मन को अच्छा लगे सुनने से मन खिलखिलाने लगेगा।
अपने किसी हुनर को तराशना इस उम्र का सबसे सुंदर काम होगा। अपनी मनपसंद एक्टिविटिज़ जो समय के अभाव की वजह से उम्र भर नहीं कर पाए उसे उम्र के आख़री पड़ाव में ब्रेन स्ट्रेचिंग के तौर पर करके देखिए मन को सुकून मिलेगा। और अगर आपको खाना बनाने में दिलचस्पी है तो नये-नये व्यंजन बनाकर परिवार को खिलाते रहिए दिमाग तरोताज़ा रहेगा। क्यूँकि खाना बनाना भी एक कला है, खाने की खुशबू और स्वाद जीवन को लज़ीज बना देगा। इंसान के दिल का रास्ता पेट से होकर गुज़रते है तो पाक कला के ज़रिए अपनों के दिल पर राज करो और दिमाग को खुश रखो। साथ-साथ अपने हर शौक़ को जवाँ रखिए। घूमना, फिरना, पढ़ना, लिखना, पेंटिंग करना या बातें करना हर शौक़ को पूरा करने का समय ज़िंदगी का आख़री पड़ाव है। जग सूना सूना नहीं जीवंत और जानदार लगना चाहिए, और ये तभी संभव है जब आपका दिमाग खिला-खिला और मन शांत होगा।
उम्र के एक पड़ाव पर जब बच्चे और परिवार के अन्य सदस्य अपने कामों में व्यस्त हो जाते है तब किसी अपने की जरूरत महसूस होती है। ऐसे में अगर आपको पेट यानी कि पालतु जानवर जैसे की छोटा सा पप्पी, बिल्ली, खरगोश या तोता पालने का शौक़ है तो पाल लीजिए, ज़िंदगी हरी भरी लगेगी समय तो व्यतीत होगा ही साथ में अपनत्व भी महसूस होगा।
कभी-कभी इन सारी चीज़ों से विपरीत किसीको पठन-पाठन और लेखन का शौक़ भी होता है जो दिमाग रुपी मशीन का विटामिन साबित होता है। पढ़ने और लिखने से दिमाग तेज़ भी होगा और कल्पना शक्ति भी खिलेगी, इस शौक़ को ज़िंदा रखिए दिमाग ताउम्र जवाँ रहेगा।
और सबसे अहम् अगर शरीर चुस्त दुरुस्त है तो अपने मनपसंद खेलों के प्रति आकर्षण जगाईये। अपनी उम्र के दोस्तों के साथ मिलकर चेस, बैडमिंटन, क्रिकेट, फुटबॉल और टेनिस जैसे खेल खेलकर जीवन का भरपूर आनंद उठाईये। और ये तभी संभव है जब हमारा दिमाग सशक्त और तन फुर्तीला होगा।
नकारात्मक सोच से दिमाग में जंक लग जाता है, कार्यरत दिमाग शरीर को जोश प्रदान करता है इसलिए दिमाग की स्ट्रेचिंग के लिए अपने मनपसंद प्रवृत्तियों में लगे रहिए, ज़िंदगी जश्न सी जीने के लायक लगेगी।
भावना ठाकर \"भावु\" (बेंगुलूरु, कर्नाटक)
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