बस अब और नहीं #ThursdayPoetry#पोएट्रीचैलेंज

बस अब और नहीं #ThursdayPoetry#पोएट्रीचैलेंज

पल दो पल की जिंदगी है

सफ़र में धूप भी होगी

रास्ते खुद तय करने पड़ेंगे

क्यूंकि जरूरी नहीं..

यह भीड़ तुम्हारे अनुरूप होगी 

अपेक्षाओं असंभावनाओं से उबरकर

हर दिशा में स्वछंद बहेंगे

लोगों का क्या है

कुछ तो लोग कहेंगे।



कुछ निखारने का प्रयास करेंगे

कुछ बिगाड़ने का

कभी किसी की बातें चोटिल करेंगी

तो कभी किसी की उजालों से भरेंगी

बस अब किसी की ना सहेंगे

लोगों का क्या है

कुछ तो लोग कहेंगे।



इक बार फिर से जीने की चाह है

घने अंधेरों में भटके अब तक

सामने..उम्मीदों की राह है

दिल खोलकर..जो कहना है

हर एक से कहेंगे

लोगों का क्या है

कुछ तो लोग कहेंगे।



जीवन में हर ओर यही शोर रहा

मन डगमगाती आकांक्षाओं की डोर रहा

औंधी पड़ी एकाग्रता को समेटकर

शब्दों को कल्पनाओं परिकल्पनाओं का रूप देकर

कुछ नए रंग भरेंगे

लोगों का क्या है

कुछ तो लोग कहेंगे।

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