बेटी से बहू तक का सफ़र

अश्कों को आँखों में छिपाकर ससुराल में मुख पर मुस्कान बिखेरती हैं बेटियाँ |
हर तीज त्यौहार पर माँ बाप की राह तकती है बेटियाँ ||
चुनना पड़ता है जब भी मायके के लाड़ प्यार और ससुराल की जिम्मेदारी में से एक को,
दफन करके अपने जज़्बात दिल में सर्वप्रथम ससुराल को चुनती है बेटियाँ ||
हाँ सब कुशलमंगल है, मैं खुश हूँ ऐसे अनगिनत झूठ मायके वालों से बोलती हैं बेटियाँ |
किसी मायके के समारोह में सम्मिलित ना होने पर छिप छिपकर आँखे भिगोती है बेटियाँ ||
भरसक प्रयास करके अपने माता पिता के नाम और संस्कारों का मान रखने का अंतिम साँस तक अथक और निरंतर प्रयास करती है बेटियाँ ||
आसां नहीं होता एक लड़की का बेटी से बहू तक का सफ़र,
इतना सब करने पर भी ना जाने क्यूँ नहीं होती ससुराल वालों को उनकी कदर... ||
✍️# दिलसेदिलतक# पूजा अरोरा
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