#बाज़ी#जिंदगी एक शतरंज

#thrsdaypoetrychallenge
कभी शह तो कभी मात हैये जिंदगी भी क्या!
बस शतरंज की एक बिसात है..
इसके नियम निराले हैं,
हम ही हैं प्यादे,और हम ही खेलने वाले है..
अपने अपने घर में बैठे हैं
अपनी किस्मत की चाभी सौंपऔर के हाथ दूसरों हाथों में है अपनी हर चाल
ना अपनी सोच है और ना दिमाग है
चल दिए उधर ही, उठाकर दिया रख जिधर
जबकि पता ही नहीं, ये दांव जाएगा किधर
पर देखने की ये बात है
जीतता वही है इस खेल में भी
जिसकी किस्मत उसके साथ है ...
हमें भी अलग रंग रूप में बांटा गया
अपनी सहूलियत से मोल लगाया गया
जीत जाने का जश्न मनाया तो
हार जाने पर , हमको ही उलाटा गया..
लेकिन बाजी पलटने में वक्त नहीं लगता
फिर जिंदगी हो या शतरंज
जीतने का जज्बा जरूरी है बस,
जिंदगी की बाजी में जो हारा है कभी
जीत उसकी शायद अगले कदम पर हो
जो समझा है इस मर्म को
वो जीत ही जाएगा जिंदगी की शतरंज को...
neelam raj
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