गृहलक्ष्मी का जिन्न #मोबाइल

कर ली दुनिया मुट्ठी में
हाथों में जादू आया है
दुनिया उसे मोबाइल कहती
मैंने तो गृहलक्ष्मी का जिन्न पाया है
हूँ आज की नारी
पुराने ढ़र्रों पर हूँ भारी
अब नहीं रहती निर्भर किसी पर
मैं और मेरा छोटा-सा साथी
सँग रहतें शामों -दोपहर
अनगिनत काम अब हो जाते ऊंगलियों के इशारों में
ऐसा आज्ञाकारी साथी नहीं मिल सकता
ढूँढ़ने पर भी गलियों और चौबारों में
अब स्मार्ट फ़ोन का संग पाकर
हर गृहलक्ष्मी हो गई है स्मार्ट
बैठे-बैठे सब सीखती चुटकियों में
गृहलक्ष्मी के तो अब बढ़ गएँ हैं ठाट
ये मोबाइल नहीं ये तो गृहलक्ष्मी का जिन्न है
जो जानती है इसके सारे उपयोग
वो गृहलक्ष्मी ही सबसे भिन्न है
अब ज़्यादा सोचती नहीं हूँ सखियों
बस अपने आप को थोड़ा अपडेट कर लिया है
बिजली, पानी, ग्रॉसरी, इ एम आई
घर बैठे-बैठे ही सारे बिल भरना सीख लिया है
ये मोबाइल नहीं है सखियों
ये तो भानूमति का पिटारा है
जबसे इसका साथ मिला है
मानो लग रहा सारा जग ही हमारा है
सुना था कि मेहनत पर विश्वास करों
भाग्य की रेखाएँ हमारे हाथों में ही होती हैं
जान पड़ती है सार्थक हर बात
जब ऊंगलियां मोबाइल पर सही राह चलती हैं
हर ज़रूरी एप अब चुटकियों में डाउनलोड कर लिया है
अपना लिया है आधुनिकता को
मोबाइल का सही उपयोग कर लिया है
ज़िंदगी के हर सुखद पल को अब
इस मोबाइल में ही कैद कर लिया है
अपने मोबाइल का स्मार्ट उपयोग कर
अपनी दुनिया को ही अपडेट कर लिया है
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