गृहणी का टाइम टेबल

गृहणी का टाइम टेबल

खाने की टेबल पर बैठते हैं नैतिक ने प्रिया को आवाज लगाई।  "प्रिया सुनो..... तुम भी साथ में डिनर कर लो।" "आप शुरू कीजिए मैं बस आ ही रही हूं।" चंद ही मिनटों बाद प्रिया भी डाइनिंग टेबल पर नैतिक के साथ खाना खा रही थी।     "अरे यार प्रिया एक जरूरी बात बताना तो भूल ही गया।


कल से मेरी इवनिंग शिफ्ट शुरू हो रही है मतलब रात की 8:00 से सुबह 5:00 बजे तक। मतलब घर आते हुए मुझे सुबह के 6:30 साथ हो जाएंगे तो तुम अपना टाइम टेबल उस हिसाब से सेट कर लेना । और हां कल पूरा दिन में फ्री रहूंगा तो जो भी जरूरी सामान मार्केट चलाना है वह मुझे बता देना ताकि बाद में दिक्कत ना हो।"    


"अरे यार नैतिक....... यह आपका नाइट शिफ्ट भी ना....... पता है इस टाइम जो आप शिफ्ट कर रहे हो ना उसमें भी मैं बड़ी मुश्किल से टाइम मैनेज कर पाती हू। अब देखो रात के 11:00 बजे हम खाना खा रहे हैं । चलो खैर जो भी है मैनेज तो करना पड़ेगा।"     "अब यार कर भी क्या सकते हैं कोरोना की बाद काफी लोगों की नौकरियां चली गई........ मेरे पास है लेकिन समय ऐसा चल रहा है कि उसे संभालना भी जरूरी हो गया है। 


इसलिए कंपनी वाले जो समय देते हैं उसी में एडजस्ट करना पड़ता है। खैर मैं जानता हूं तुम एडजस्ट कर लोगी और बच्चों की पढ़ाई कैसी चल रही है...?"अरे हां...बच्चों की पढ़ाई तो सही चल रही है लेकिन यहां भी कोरोना ने परेशान कर रखा है मुश्किल से स्कूल शुरू हुए थे केवल 8 दिन गए थे बच्चे और वापस गवर्नमेंट की गाइडलाइन आ गई तो अब ऑनलाइन पढ़ाई शुरू करनी पड़ेगी।"     


"मैं सोच रहा था कि अब तुम भी अपना बुटीक वापस शुरू कर दो ताकि आमदनी का एक और जरिया शुरू हो सके......... इतने बढ़ गए हैं ऊपर से सैलरी कम हो गई है मैनेज करना मुश्किल हो रहा है। तुम भी अपना रूटीन हिसाब से सेट कर लो की बूटिक के लिए भी समय निकल जाए।" अपनी बात पूरी कर के नैतिक हाथ धोने के लिए उठ खड़े हुए और सीधा कमरे में चला गया।    


प्रिया अभी खाना खा रही थी और सोच रही थी कि कितनी आसानी से नैतिक ने कह दिया कि तुम अपना रूटीन उस हिसाब से सेट कर लो। लेकिन एक गृहणी के लिए क्या यह इतना आसान है क्योंकि एक गृहणी का रूटीन तो उसके परिवार के रूटीन के हिसाब से होता है उसका अपना कोई रूटिन नहीं होता है। वह अपने लिए जीती ही कहां है.....? वह तो पूरे परिवार के लिए जीती है। जब नैतिक की शिफ्ट मॉर्निंग की होती है तब प्रिया उसके हिसाब से ही खाना बनाती है और टिफिन पैक करके देती है.......... 


फिर बाकी परिवार के लिए उनके टाइम टेबल के हिसाब से खाना बनाती है। जब बच्चों की ऑनलाइन क्लासेज होती है तो उनके हिसाब से अपना टाइम मैनेज करती है और जब स्कूल था तब भी बच्चों के टिफिन स्कूल टाइम में सब कुछ उनके हिसाब से मैनेज होता था। कभी मम्मी जी की पूजा की थाली की चिंता होती है तो कभी पापा की शुगर फ्री चाय। इस बीच उसके शरीर की जरूरत क्या है यह कोई नहीं देखता। यहां तक कि कई बार वह खुद भी यह समझने की कोशिश ही नहीं करती कि उसे भी किसी चीज की जरूरत है ।उसे भी अपना रूटीन सेट करना है। उसका भी मन करता है कि सुबह उठकर वह भी ज्यादा कुछ ना सही केवल 10 मिनट अपने लिए जिए..........


 गर्म चाय की प्याली के साथ बालकनी में बैठकर प्रकृति का नजारा देखें। कभी अपने रूटीन के हिसाब से ठीक 9:00 बजे नाश्ता कर ले लेकिन वह ये नहीं कर पाती है क्योंकि उसे खुद से पहले अपने परिवार की चिंता होती है सच में एक गृहणी का कोई रूटीन नहीं होता है उसका कोई टाइम टेबल नहीं होता है वह तो सबके साथ टाइम मैनेज कर लेती है।दोस्तों कैसी लगी आपको मेरी यह रचना। कमेंट करके अपने विचार जरूर साझा कीजिएगा।


धन्यवाद रुचिका खत्री

 #7 दिन 7 ब्लॉग

# गृहणी

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