गली में आज चाँद निकला ❤️

पूरी गली को आज लड़ियों व कनात से सजाया गया था। द्वार पर फूलों की लड़ियों से सजावट कर दी तथ चोक को रंगोली से सजाने में महिलाएं लगी हुई थी।आज मोहल्ले की सजावट व खुशियां देखते ही बनती थी। और सब खुश हो भी क्यों ना! आज सबकी प्यारी रश्मि की विदाई जो थी। इस विदाई का रश्मि को ही नहीं, पूरे मोहल्ले वालों को इंतजार था।
7 साल पहले जब रश्मि की बहन का रिश्ता तय हुआ था तो साथ ही साथ लड़के वालों ने छोटी रश्मि का भी हाथ मांग लिया । घर वालों ने बड़ों से सलाह मशवरा कर खुशी-खुशी इस रिश्ते के लिए हां कर दी। दोनों बहनों की शादी साथ हुई थी। लेकिन रश्मि की उम्र कम होने के कारण उसे पग फेरे के बाद विदा करा लाए और तय हुआ कि जब लड़का और लड़की की उम्र शादी लायक हो जाएगी तब रश्मि को विदा करेंगे। लेकिन पढ़ाई व उम्र पूरी होने के बाद भी लड़के ने रश्मि को ले जाने से मना कर दिया उसका कहना था कि “बड़ों ने उस समय उससे सलाह नहीं ली और रश्मि उसे पसंद नहीं इसलिए वह इस विवाह को नहीं मानता।”
दोनों ही परिवार वालों ने लड़के को बहुत समझाया लेकिन वह अपनी जिद पर अड़ा था। रश्मि के माता पिता ज्यादा कुछ भी नहीं कह पाए क्योंकि बड़ी लड़की वही थी। कहीं ससुराल वाले नाराज हो गए तो उसे भी घर ना बैठाना पड़ जाए।
इन 7 सालों में ना वह कभी रश्मि से मिला और ना ही उसने फोन पर बात करने की कोशिश भी की। चंचल अल्हड रश्मि को तो इन सब बातों का इतना सदमा लगा कि वह हंसना बोलना ही भूल चुकी थी। वह हर समय घर के कामों में ही लगी रहती बाहर निकलना भी उसने छोड़ दिया था। घरवाले दूसरी शादी के लिए कहते तो वह साफ मना करते हुए कहती “मेरे नसीब में शादी का सुख होता तो मेरा पति मुझे यूं ना छोड़ देता।”
पिछले हफ्ते उसकी बड़ी बहन ने आकर जब यह खुशखबरी दी कि देवर की पुलिस में नौकरी लग गई है। और ट्रेनिंग से आते ही उसने रश्मि को लाने की बात कही। उसकी बात सुनकर किसी को विश्वास ही नहीं हुआ। किसी को समझ नहीं आ रहा था कि उसका हृदय परिवर्तन कैसे हो गया । पूछने पर बस यही कहता “मुझसे बहुत बड़ी भूल हुई है और मैं उस भूल का सुधार कर रहा हूं।”
सभी लोग इसे रश्मि की तपस्या का फल कह उसके भावी जीवन के लिए खूब आशीर्वाद दे रहे थे। आज रश्मि लाल जोड़े , माथे में सिंदूर ,कलाइयों में हरी लाल चूड़ियां में उसके रूप की आभा देखते ही बनती थी। जैसे ही उसके पति ने उसे देखा तो वह उसे अपलक निहारता ही रह गया। उसने दोनों हाथ उसके आगे जोड़ दिए। मानो अपने किए की माफी मांग रहा हो। यह देख रश्मि के आंसू छलक आए और आगे बढ़ जैसे ही वह उसके पैर छूने लगी तो उसने रश्मि को अपनी बाहों में भर लिया।
यह महामिलन देख सबकी आंखों में खुशी के आंसू छलक आए और महिलाएं विदाई के मंगलगीत गाने लगी।
सरोज ✍️
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