गुमान

गुमान

गुमान ❤️

हां हुआ था गुमान एक बार मुझे भी...

 बरसों बैठी रही मैं उसके इंतजार में..

 लगाए आशा अपने मन के गुमान में...

 पर पिया जी को मेरी कहां सुध थी


... जानते हो कब हारी..???

..... क्यों हुआ मुझे गुमान..???


 मैं माननीय सी खुद को.....

 खुद मैं तुम्हें निहारने लगी...

.. तुम बस तुम मेरे..!!""

 सोचकर इतराने लगी में...!!!


 मेरा गुमान तुमने ताक लिया

 खुद को तनिक सा आंक लिया...



 सोचो तो जो ना करती गुमान..तो तुम नहीं जाते..

 पहले से कहीं और ज्यादा मुझ में रह जाते..

.... मुझे सबक सीखना जरूरी था!!!"

  ... यह परीक्षा की घड़ी थी 

 तुमने साथ न छोड़ा कभी मेरा हाथ ना छोड़ा

 तुम मेरी आंखों से ओझल हुए...

 पर तुमने कोई अभिमान नहीं किया 

.....क्षणिक   ही सही.....!!!!!!

 मगर यह कैसी परीक्षा की घड़ी थी

 मेरा रोम रोम रुदन करता रहा 

 तुम मुझसे कहीं दूर जाते रहे 

 पश्चाताप का दर्द सहते रही

 मेरे मन को चोट भी हुई 

 तुम से मेरी थोड़ी थोड़ी दूरी बड़ी 

 मेरा गुमान ❤️


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