गर्मी और वह लहसुन की सब्जी

भाई को शुरू से ही देखा है किचन में काम करते हुए उसके हाथों से स्वाद का आज भी कोई जवाब नहीं है।
पर पापा किचन में कम ही देखते हैं जब भी कुछ बनाते हैं कुछ अलग ही बनाते हैं ।
गर्मियों की छुट्टियों में ननिहाल जाना हुआ था और जब हम वापस आ रहे थे तो ,हमें बहुत भूख लग रही थी। मम्मा को बोला "माम्मा भूख लग रही है ।"
थोड़ी ही देर के बाद घर पहुंचने वाले थे तो मां ने पापा को फोन कर दिया था "बच्चों को भूख लग रही है कुछ बनाकर तैयार रखना"!
जब घर पर पहुंचे तो लहसुन की सब्जी हमारा इंतजार कर रही थी ।
जैसे ही मां ने सब्जी की तरफ देखा मां को क्रोध आ गया "अरे इतनी गर्मी में लहसुन की सब्जी खाता कौन है, आप भी ना कुछ सोच समझकर तो बताते !"
अब इतना सुनकर पापा का चेहरा उतर गया" एक तो इतनी प्यार से तुम लोगों के लिये सब्जी बनाकर रखी और तुम नखरे कर रही हो "!
और पापा रूठ कर बैठ गए।
थोड़ी सी देर बाद हम सभी भाई-बहन चटकारे ले लेकर लहसुन की सब्जी खा रहे थे।
हां मगर गर्मी का मौसम था तो इसलिए थोड़ा कम ही खा रहे थे ।
मैंने पापा को चिडाते हुए थोड़ी ज्यादा सब्जी ले ली ,तभी पापा का फरमान आया-" बेटा गर्मी है ज्यादा नहीं खाना ।"
और यह कहकर मम्मी की तरफ देखा ।मम्मी मंद मंद मुस्कुरा रही थी और फिर"
" अभी थोड़ी देर पहले यही कहा था कि गर्मी में लहसुन की सब्जी नहीं खाते"!
तब पापा ने कान पकड़कर कहा "हां हां ठीक है पता है मुझे मगर और कोई सब्जी दिखी नही अभी मैं लाया नहीं था ,और बच्चों को भूख लग रही थी किचन में लसुहन दिखा मुझे और मैंने वही बना दिया।"
इस हालत में पापा मुझे बहुत प्यारे लग रहे थे ।पापा की उस सब्जी का स्वाद है मुझे आज भी याद है ।
पापा का वह रूठना और फिर उन्हें मनाना भी।।
टीना
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