घर का प्यारा कोना

सुकून से भरे वो पल जब मैं होती खुद के संग
बन जाते अक्सर मेरे घर का प्यारा सा कोना।।
जब होती मुस्कुराहट मेरे हमसफ़र के लवों पर
खिलखिलाते मासूम एक दूजे के साथ
सच बन जाते वो लम्हे घर का प्यारा कोना।
जब खुशबू उड़ती लजीज पकवानों की
और भागकर आयें बच्चे माँ जल्दी दो
तो बनती वो रसोई मेरे घर का प्यारा सा कोना।
जब शंख की आवाज़ और धूप की सुगंध
फैले मेरे घर अंगना और पुलकित हो आत्मा
तो बनता वो पूजा घर मेरे घर का प्यारा कोना।
जब गप्पे लड़ा रही हूँ मैं बैठ सखियों के साथ
समय की सुध बुध न रहे बस कहकहे हों जोरदार
तो बनता वह छोटा दीवान मेरे घर का प्यारा सा कोना।
जब करती हूँ मैं अपने बड़ों का हृदय से सम्मान
तो जो बरसता नयनों से उनके असीम प्रेम और दुलार
सच कहती हूँ बन जाते वो नयन मेरे घर का प्यारा सा कोना।
सुकून से भरे पल जब मैं होती खुद के संग
बन जाते अक्सर मेरे घर का प्यारा सा कोना।।
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