हमारे घर में नहीं होता है ऐसा

सीमा जब विदा होकर ससुराल आयी तो देखा दोनों जेठानीयो के चेहरे पर कोई खुशी नहीं थी देवर की शादी की। दोनों उसे ज़मीन पर बिछौने पर बिठा कर चल दी।
सर्दी का समय था तो उसने अपनी जेठानी से कहा दीदी यहाँ ज़मीन पर बैठना होगा । मुझे जल्दी ही सर्दी हो जाती। उसकी जेठानी कुछ कह पाती उससे पहले ही उसकी सास बोली “बहु हमारे घर में ऐसा ही होता है”। नयी बहु को ज़मीन पर ही बिठाते है। सीमा की जेठानी मुस्कराकर चलती बनी। सीमा ने चुप रहना ही ठीक समझा।
उसकी सास हर बात पर हमारे घर में ऐसा होता है या हमारे घर पर ऐसा नहीं होता है। अब सीमा को समझ आ रहा था कि उसकी जेठानी क्यों अलग- अलग सी रहती है। उसकी सास बहुओं को घर का सदस्य समझती ही नहीं थी वो तो उन्हें दूसरे घर से आयी लडकियां समझती जो उनका वंश आगे बढाने आयी थी।
सीमा की मुंह दिखाई थी सब मौहल्लै वाले आये। सीमा से सबके पैर छूने को कहा सीमा ने सभी के पैर छुये और बडे आदर सत्कार से सभी को बिठाया।
सीमा पहली बार शादी के बाद मायके आयी थी उसके पति उसे लेने आये। सीमा के पति ने उसके माँ पापा के पैर नहीं छुए। सीमा को बहुत खराब लगा। उसने घर आकर अपने पति से पूछा एक बात बतायेगे उसके पति ने कहा हां पूछो। सीमा ने कहा आप जब मुझे लेने आये थे तो मेरे मम्मी पापा के पैर क्यों नहीं छुए आखिर आपके भी तो धर्म माता-पिता है और बडो़ के पैर छुना तो हमारे संस्कार में आता है।
उसके पति ने कहा वो हमारे घर में नहीं होता है मम्मी ने मना किया है लड़की वालों के पैर नहीं छुते हैं।
सीमा को बहुत गुस्सा आया उसने कहा ठीक है आप मेरे माँ पापा का सम्मान नहीं कर सकते हैं तो मैं भी आगे से किसी आस -पडौस वालों के पैर नहीं छुउगी हमारे घर में भी बाहर वालों के पैर नहीं पडते है नमस्कार करते हैं तो वही करुगी।
उसका पति चुपचाप सुनता रहा। अब आगे से सीमा कोई कुछ कहता तो वो भी बोल देती” हमारे घर में नहीं होता ऐसा “।
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