जिंदगी इक इम्तिहान

चुलबुली सी कभी कभी चहकी सी
कभी रूखी कभी महकी सी
कभी सहमी कभी बिंदास
कई रूप रंग इसके हैं अनोखे अन्दाज
समेटे अपने आंचल में इन्द्रधनुष से ज्यादा ये रंग
सुख दुख की आवाजाही जैसे जलतरंग
कठिनाइयों की धूप में मिलती कहीं सुकून की छांव
है
सच के धरातल पर पड़ते झूठ के पांव हैं
गुजरना ही है गलियों से इसकी तो क्यूं ना मुस्कुरा
कर चलें
मन में विश्वास भर गर्व से सिर उठाकर चलें
तिनका तिनका तराशा है उस खुदा ने ज़मीन पर
बहुतेरी रंगों से शिद्दत से सजाया है
खुशनसीब है वो जिन्होंने इन्सान के रूप में जिंदगी
को पाया है
चलने का नाम जिंदगी नहीं रूकती किसी के वास्ते
तय करता है इंसान खुद अपनी मंजिल बनाता है
रास्ते
करती है खड़ी चुनौतियां परखती अपने पैमाने से
ज़ज्बा ए जिंदादिली को करती सलाम
इस्तिकबाल करती खूबसूरत नजराने से
खुद को तराशना है खुद को आजमाना है
कसौटियों पर अपनी खरा उतरकर
जिन्दगी को गले लगाना है
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