जीवनसाथी साथ में रहना!

"और नहीं कुछ तुमसे कहना,
जीवनसाथी साथ में रहना।"
तान्वी रेडियो पर अपना मनपसंद गाना सुन रही थी, कि तभी उसे आज सुबह अपने पति नीतेश और सासू मां के बीच हुई बहस याद हो आई।
"तुम बच्चे हमेशा हर काम को अपने हिसाब से ही क्यों करना चाहते हो... और कुछ न सही कम से कम पूजा पाठ तो नियम से किया करो.... "
"मम्मी आप हर बार जिद पकड़ कर क्यों बैठ जाती हो...? आप को अच्छी तरह से पता है कि तान्वी अभी इतनी देर तक पूजा में नहीं बैठ पाएगी, उसे प्रोब्लम होगी, फ़िर भी.... " नीतेश ने कहा।
"और जो पंडित जी मुहूर्त बता रहे हैं, उस का कोई मोल नहीं है तुम्हारे लिए... ये पूजा-पाठ, हवन-कांड शुभ मुहूर्त में हों,तभी फ़लदायी होते हैं।"
"मम्मी आप रहने दीजिये... हकीकत क्या है...वो आप भी जानती हो और मैं भी! गर्मियों की छुट्टियाँ हो गयी हैं और आप चाहती हो कि हवन कराके घर और तान्वी शुद्ध हो जाएँ और तान्वी घर का सारा काम सम्भाल ले ताकि भाभी आराम से बच्चों को लेकर मायके घूमने चली जायें...पर मैं ऐसा नहीं होने दूँगा...तान्वी का शरीर अभी बहुत कमजोर है... और जब तक वह पूरी तरह से ठीक नहीं हो जाती, मैं यह पूजा नहीं कराऊंगा और न ही उसे घर के किसी काम को हाथ लगाने दूंगा...जिस को जहाँ जाना है...वहाँ जाये!!!"
जब तान्वी की सास को अपनी दाल गलती दिखाई नहीं दी तो उन्होंने चुप रहना ही बेहतर समझा ।
नीतेश भी अपने कमरे की तरफ़ बढ़ गया, जहाँ तान्वी अपनी आठ दिन की बेटी को दूध पिला रही थी ।
"क्या हुआ, फ़िर से मम्मी जी से बहस हुई?"
"अरे यार... तुम भी !!! इसे बहस करना नहीं कहते.... गलत के खिलाफ आवाज उठाना कहते हैं!!"
"क्यों मेरी वजह से बार-बार बुरे बनते हैं आप!"
" तो क्या करूँ...सब को अपनी मन मर्जी करने दूँ...! तुम मेरी पत्नी हो, तुम्हें ब्याह कर लाया हूँ इस घर में... तुम्हारे माता-पिता को यह विश्वास दिला कर आया हूँ कि जीवन भर तुम्हारा खुद से भी ज्यादा ख्याल रखूँगा और वही कर रहा हूँ...!!"
"अच्छा अब मैं आफ़िस जा रहा हूँ, तुम अपना और गुड़िया का ध्यान रखना... किट्टू को मैंने स्कूल भेज दिया है...." कहकर नीतेश तैयार हो कर आफ़िस के लिए निकल गया।
लेकिन तान्वी के खयालों में अभी भी नीतेश उस के साथ था...सच, कितनी खुश-किस्मत हूँ मैं, जो मुझे तुम जीवन साथी के रूप में मिले।
#मेरे वाला गाना
What's Your Reaction?






