कांटों भरा गुलाब

दौड़ता भागता बेकाबू ट्रैफिक, रेड सिग्नल मिलते ही थमने
को मजबूर हो गया । गाड़ी वालों ने रुकते ही अपनी अपनी गाड़ियों के शीशे ऊपर चढ़ा लिए और टू व्हीलर वालों ने अपने हेल्मेट के शीशे।
कारण एक तो यह रेड लाइट काफी लंबी थी। दूसरा वहां मांगने वाले और तीसरा उड़ती धूल मिट्टी।
तभी मांगने वाले कुछ बच्चे दौड़ते भागते उधर आए।
लोग उन्हें देखकर जैसे ही मुंह फेरने लगे थे। तभी उनकी नजर सामने से आती एक सोलह सत्रह साल की नवयुवती पर पड़ी ।
जिसका रंग सांवला था लेकिन अपने तीखे नैन नक्श के कारण सबकी नजर उस पर ठहर सी गई। पहले तो सबने सोचा शायद यह सड़क पार कर रही होगी लेकिन जैसे ही उसने अपने हाथ मांगने के लिए आगे किए, लोग हैरानी से उसे एकटक निहारने लगे। जैसे कि वह अब सबकी सार्वजनिक संपत्ति बन गई हो।
जो अब तक इस रेडलाइट पर झल्ला रहे थे। वह मन ही मन दुआ करने लगे कि इसका समय थोड़ा और बढ़ जाए। लोगों ने धीरे धीरे कार के शीशे नीचे कर लिए और जीभर उस कमसिन गुलाब के रूप सौंदर्य का रसपान करते हुए, लालची नजरों से उसे निहारने लगे।
उसकी मुस्कान का जादू इस कदर चल रहा था कि कभी किसी को फूटी कौड़ी ना देने वाले, आज उसके हाथ पर 10 ₹ -50 रूपए रख रहे थे।
हां, कुछ सभ्य लोग भी थे । जो उसे तिरछी नजरों से घूरते हुए कोई काम धंधा करने की सलाह भी दे रहे थे।
और वह लड़की बिना कुछ कहे सुने , अपनी मनमोहक मुस्कान का जादू बिखेर आगे बढ़ जाती ।
तभी एक कार में बैठे 4-5 मनचलों ने उसके आगे बढ़े हुए हाथ को अपनी ओर खींचते हुए उसे कुछ कहा और फिर जोर से हंस पड़े।
जिसे सुन उस नवयुवती ने अपने हाथ को बाहर खींच लिया और फिर दोनों हाथों से बहुत जोर जोर से पीटते हुए बोली
" हां हां तो मैंने कब मना किया है चलो ना! बनाओ मुझे अपनी रानी।"
उसके तालियां बजाने और हाथों को नचाने के अंदाज को देख उन लड़कों के साथ साथ सभी लोग हक्के बक्के रह गए और जल्दी से सबने अपने शीशे चढ़ा लिए।
अब तक जो नवयुवती उनके लिए आकर्षक गुलाब थी। अब उन्हें वहीं एक कांटो भरा गुलाब नजर आने लगी थी।
तभी ग्रीन लाइट हो गई और सभी उस कांटों भरे गुलाब को हेय दृष्टि से देखते हुए, वहीं छोड़ आगे बढ़ गए।
सरोज ✍️
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