कदम-कदम बढा़ये जा

पिछले साल मार्च में जब कंपलीट लोकडाउन की घोषणा हुई थी, तो दैनिक मजदूरो पर तो जैसे गाज़ ही गिर गयी थी। न घर में खाना था और न ही खाने का सामान खरीदने के पैसे।ऐसे में कुछ हाथ मदद के लिये आये ऐसे लोगो के लिये जिनके पास एक समय का खाना भी नही था।
ऐसा ही तीन लड़को का एक ग्रुप था, जिन्होनें अपना जेबखर्च बचाकर उससे जरूरतमंदो के खाने का बंदोबस्त किया।
एक दिन जब वे खाना बाँट रहे थे, तो इन्होने देखा कि एक माँ अपनी दूधमुँही बच्ची को दूध की बोतल में पानी पिला रही थी ताकि उसकी बच्ची सो सकें। उन्होने जब उसको खाना दिया तो उस माँ ने कहा- जो खाना तुम लोग बाँटते हो, वह मैं और मेरे पति तो खा लेंगे, लेकिन मेरी यह छोटी सी बच्ची- इसे तो दूध चाहिये। इसका पेट कैसे भरूं। यह कहते हुए उसका गला भर्रा गया।
उसकी यह दशा देखकर उन तीनो ने सोचा कि ऐसे कितने और छोटे बच्चे होंगे जो केवल दूध पर ही जीवित है और उन्होनें अब दूध वितरण का जिम्मा लिया।
उन्होने 50 लीटर दूध बांटने से शुरुआत की थी, जो धीरे-2 500 लीटर दूध में बदल गयी। ये लोग अभी तक लगभग 70,000 लीटर दूध का वितरण कर चुके है और सिलसिला अभी जा़री है। दोस्तो इन तीनो के नाम है जी़शान, शहजा़र और जु़ल्फीशान। बच्चे इन्हे दूध वाले भैया के नाम से बुलाते हैं।
आज इनके इस नेक काम में इनके दोस्त, परिवार वाले, जानने वाले सब मदद कर रहे हैं।मुझे पूरा विश्वास है कि दूसरो की मदद के लिये बढा़ये गये इनके ये छोटे- छोटे कदम एक दिन अपनी मंजि़ल को अवश्य पा लेंगे।
दोस्तो आओ,हम सब भी अपने कदम ऐसी मदद के लिये बढा़ये, चाहे वह कदम छोटे ही क्यों न हो। यदि हम सब मिलकर साथ कदम बढा़येंगे तो मंजिल को पाना तय है।
क्रेडिट-फेसबुक
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