क्या करें जिससे बना रहे आत्मविश्वास ?

बहुत बार हमें ऐसा अनुभव होता है जैसे हम सबके सामने खुल कर अपनी बात नहीं रख पाते। प्रयत्न भी करते हैं तो शायद हमारी बातों को लोग गम्भीरता से नहीं लेते। शायद हमें सामने वाले से ज्यादा ज्ञान है फिर भी हमें कोई सम्मान नहीं देता।
इसके अतिरिक्त हमें अपनी शारीरिक बनावट व रंगरूप से भी शिकायत होती है। मेरे ऊपर कोई कपड़ा नहीं जँचता। मैं बहुत मोटी हो गयी हूँ। मेरा रंग कितना दबा हुआ लग रहा है। वगैरह वगैरह।
दरअसल ये आत्मविश्वास की कमी से होता है। कभी कभी आत्मविश्वास पारिवारिक कारणों से सदा से कम होता है तो कभी कभी किसी खास वजह से कम हो जाता है। जैसे किसी बड़े धोखे का शिकार होने से, मेहनत के बाद भी असफल हो जाने से। या सदा अपनी तुलना दूसरों से करते रहने से। कारण जो भी हो, इस समस्या से छुटकारा जल्दी ही पाने का प्रयास करना होगा अन्यथा मानसिक विकार उत्पन्न होंगे।
आप अपने व्यवहार पर ध्यान दीजिये और कमियों को दूर अवश्य कीजिये परन्तु हीनभावना से सर्वथा मुक्त रहें
बोलना-
कहीं आप बहुत जल्दी जल्दी तो नहीं बोलते? सिर्फ अपनी ही बात को जल्दी से पूरी करने को आतुर तो नहीं रहते? आपको दूसरे की बात को ठीक से सुनना भी आना चाहिए। केवल अपनी ही कहेंगे तो आपको कोई नहीं सुनेगा।
तुलना-
कोई भी दो लोग एकसे कैसे हो सकते हैं? जब विधाता ने दुनिया का हर चेहरा अलग बना दिया तो आप कैसे किसी से अपने गुणों या अवगुणों की तुलना कर सकते हैं?
तुलना हमेशा दुखदाई होती है। यदि सामने वाले में कुछ गुण हैं तो आपमें भी कुछ भिन्न गुण होंगे
जलन-
किसी के पास हमसे कोई चीज ज्यादा है, फिर चाहे रूप गुण हो,धन हो या कुछ और कभी कभी थोड़ा सा जलन भाव स्वाभाविक माना भी जा सकता है परन्तु ये भाव इतना अधिक हो कि सुबह शाम बस आप यही सोचें तो वह सामने वाले को नहीं बल्कि आपको हानि पहुँचा रहा है।
हुनर को पहचानें-
हर इन्सान में कोई न कोई हुनर छुपा होता है पर हम कभी कभी उसको पहचान नहीं पाते। उसे पहचान कर निखारिये, आत्मविश्वास स्वयं ही बढ़ेगा।
प्रशंसा से प्रसन्न होइये-
यदि आत्मविश्वास कम हो तो कभी कभी प्रशंसा भी ताने जैसी लगती है। आपको प्रशंसा के उत्तर में शालीनता से धन्यवाद करना सीखना होगा।
सकारात्मक लोगों का साथ-
कुछ लोग खुद तो नकारात्मक सोच के होते ही हैं वह आपका भी मनोबल तोड़ते हैं। उन से दूरी बना कर सकारात्मकता से जुड़ें।
शारीरिक बनावट व रंग रूप आपने वंशानुगत रूप से पाया है। परंतु यह उतना आकर्षक नहीं भी हो तो भी आप ऐसे बहुत से लोगों से मिले होंगे जो सुन्दर न होकर भी पहली बार में ही अपनी छाप छोड़ जाते हैं।
जो आपको मिला है उसमें संतुष्ट रहें और उस रूप को यथासंभव निखारें।
शारीरिक रख रखाव-
यदि आपका रखरखाव साफ सुथरा व आकर्षक है तो आत्मविश्वास खुद ही बढ़ा रहता है। ये तो आपने भी अनुभव किया होगा कि जिस दिन दो चार लोग प्रशंसा कर दें तो आप प्रसन्न अनुभव करते हैं। तो व्यक्तित्व में कुछ आदतों का समावेश सदैव के लिये क्यों न करें?
1 बाल छोटे हों या लम्बे, खुले हों या बँधे, सँवरे अवश्य हों
2 दाँत व नाखून साफ सुथरे हों
3 मुख में किसी तरह की कोई दुर्गन्ध नहीं हो।
4 कपड़े सदैव स्वच्छ व इस्तिरी करे पहने।
5 त्वचा का ध्यान रखें।
6 होंठ कटे फटे न हों
7 एड़ियाँ साफ हों, फटी हुयी न हों।
8 आधुनिक दिखने के चक्कर में कुछ भी न पहन लें, आपके परिधान व्यक्तित्व को निखारने वाले हों। आपको सूट करें।
अर्चना सक्सेना
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