खुशियों वाला दिन

खुशियों वाला दिन

जिस दिन से मोनल बहू बनकर इस घर में आई , सबका दिल जीत लिया उसने। ननद को तो भाभी के रूप में एक दोस्त मिल गई ।हम उम्र हैं दोनों ही और देवर तो भाभी का फैन हो गया। पतिदेव ये देखकर फूलों नहीं समाते कि माँ-बाप का ध्यान रखने वाली सुशील बहू के आने से घर मंदिर बन गया ।  मोहल्ले -पड़ोस की औरतें भी चर्चा करती कि भाग्य हो तो सुनील की तरह। पत्नी मिली क्या साक्षत लक्ष्मी है।  रूप -गुण सब कुछ है उसमें और उस पर व्यवहारकुशल  भी है । घर पर मेहमान आ जाएं तो झटपट रसोई बना डालती है

ननद ने अपनी बर्थडे पार्टी रखी,उस दिन सारे पकवान मोनल ने घर पर ही तैयार किए ।बड़ा स्वाद है उसके हाथों मे जो एक बार खा ले तो बार-बार दिल चाहता है उसके हाथ का खाना खाने का। फिर घर पर सबकी हर छोटी-बड़ी ज़रूरतों का ध्यान रखना ।सास-ससुर को डॉ  के पास ले जाकर  हेल्थ चेकअप  कराने से लेकर घर-बाहर दोनों की ज़िम्मेदारी को बख़ूबी  निभाने लगी है । 

सब कुछ है घर में बस अब चाहत है तो एक नन्हें-मुन्ने की ।  मगर अभी मोनल की कोई खुश खबरी नहीं है ।शादी के दो साल गुज़र गए अब तो आस-पड़ोस की बुजुर्ग औरतें सास से कहने लगीं हैं कि बहू को इतनी देर नहीं करनी चाहिए,तुम्हारी बूढ़ी आंखों  को तो वारिस देखने को मिल जाए।  पहले पहल तो सास ने इन बातों पर तवज्जो नहीं दी मगर मन के अंदर कहीं ये भाव जाग ही गया कि कह तो सही रही हैं। फिर उन्होंने मोनल से कह दिया कि अब घर में नन्हे मेहमान को लाने में देर मत करो ।  

मोनल और सुनील तो पहले से ही चाह रहे हैं पर ईश्वर की मर्जी  शायद कुछ और है । चाह कर भी मोनल गर्भ धारण नहीं कर पा रही थी । ऐसे ही समय बीतता जा गया।।पाँच साल गुज़र गए  जिन लोगों की साथ में शादियां हुईं थीं सभी के पास कोई न कोई बच्चा था ।अब मोनल बहुत उदास रहने लगी ।लोग उससे पूछते कि कमी किसमें है ?तुममें या सुनील में? उस वक़्त वह खून का सा घूँट पी जाती और फिर चुपके -चुपके बिस्तर पर लेटकर सिसकियां लेती ।

कई डॉक्टरों को दिखाया पर मेडिकली दोनों में कोई कमी भी नहीं फिर भी वह माँ नहीं बन पा रही ।ये दर्द वक़्त के साथ-साथ बढ़ रहा था ।वही मोनल जो घर भर की प्यारी थी ,उसे बाँझ समझने लगे । रिश्तेदारों ने तो सुनील का दूसरा विवाह करवा देने तक का प्रस्ताव रख डाला ।अब तो मोनल को लगता  लोग आग में घी डाल रहे हैंऔर वह जलाई जा रही है। अपने घर के लोगों का पहले जैसा रवैया नहीं रहा ।रिश्तों में मधुरता  कम होने लगी  नजदीकयां दूरियों में बदलने  लगीं ।

अपनी डगमगाती गृहस्थी को बचाने के लिए बच्चे का होना बहुत ज़रूरी है। ये सोचकर मोनल ने सुनील  से बच्चा गोद लेने की बात कही ।पहले सुनील को ये फैसला समझ नहीं आया मगर वह जानता था कि इसमें न ही मोनल का दोष है और न ही उसका ,सिर्फ भाग्य का खेल है ।शायद ईश्वर की यही मर्जी है। यह सोचकर  हाँ कर दी ।

कुछ दिनों बाद उन्होंनेे अनाथालय जाकर एक बेटी का रजिस्ट्रेशन कराकर उसे गोद ले लिया । डूबते को तिनके का सहारा मिला और घर पर इस बच्ची का स्वागत हुआ। देखते -देखते साल गुज़र गया।आंगन में डगमग घूमती  ये गुड़िया   सबकी आंखों का तारा बन गई। मोनल का सारा समय इसके साथ  निकल जाता ।कुछ दिनों से उसका दिल मतला रहा था ।

खाने का स्वाद भी बदल रहा था और आज तो वह चक्कर खाकर गिर ही गई।डॉ को दिखाया तो पता चला कि वह गर्भ से है। उसकी आंखों से खुशी के आंसू निकल रहे थे सुनील ने उसे गले लगा लिया। सभी लोग बहुत ख़ुश थे कि इस नन्हीं परी के क़दम इस घर के लिए इतने शुभ हैं कि मोनल की गोद भी हरी होगी और उसके लिए दूजा भाई या बहन जोड़ी बनकर आने वाला है।  आज सबके लिए ही ये खुशियों वाला दिन था।
           

डॉ यास्मीन अली 
हल्द्वानी ,नैनीताल।
#myfirstpregnency
#thepinkcomradecontestofthemonth
#thepinkcomrade
#pinkcomrade     
           
           
            

What's Your Reaction?

like
0
dislike
0
love
1
funny
0
angry
0
sad
0
wow
0