किसने हक दिया?

किसने हक दिया?

बहुत साल बीत चुके है ममता और नवीन की शादी को। दोनो खुश है अपनी जिंदगी में। दोनो के स्वभावमें जमीन-  आसमान का अंतर है, परंतु फिर भी एक- दूसरे के पूरक है। नवीन ने ममता को नौकरी करने की आजा़दी दी, अपनी पहचान बनाने की आजादी दी।साडी़ के बदले सूट पहनने की आजादी। कभी-कभी रसोई में भी काम कर लेता था। फिर फोन करके सबको बताया जाता था। सब बार- बार कहते-" बहुत ही किस्मतवाली है तू ममता, जो ऐसा पति मिला है।" सच भी तो है, उन्होने सब दिया और देते ही चले गये। लेकिन कोई मुझे ये बताओ देनेवाले वो होते कौन है?

कौन है वो, जो खुदको ये अधिकार दिये बेठै है कि उनकी आज्ञा के बिना मैं कुछ नहीं कर सकती। जो मैं बनना चाहती थी, मैं तो वो बनूँगी ही नहीं। मैं तो वो बनूँगी जो तुमने मुझे बनने दिया।आप महान बन गये क्योकि आपने मुझे वो सब बनने की इजाज़त दी है, जो बडे़ भाग्यशाली लोगो को मिलती है।  मैं भी सोचती हूँ कि कितने अच्एछे पति मिले है, सब करने की आज्ञा दी है। और मैं ये भूल जाऊंगी कि ये हक़ तो मैने किसी को दिया ही नही था।मेरे लिये लक्सष्ममणरेखा खींचने वाला कोई नही था।एक समय का खाना पति ने बनाया और भाग्यशाली पत्नि?? कभी घर की साफ-सफाई में हाथ बँटा दिया तो भी पत्नि ही भग्यशाली। ऐसा क्यो? घर तो दोनो का है। 

मैं किसी ऐसी डोर से नही बंधना चाहती, जहाँ केवल मैं ही बंधू, बल्कि मैं ऐसी डोर में बंधकर उड़ना चाहती हूं, जिस उडा़न में हम दोनो एक-दूसरे के साथ हो। क्योकि प्यार किसी condition के साथ नही आता। मुझे विश्वास है कि हमारे बीच बिना condition वाला प्यार ही रहेगा।

What's Your Reaction?

like
1
dislike
0
love
0
funny
0
angry
0
sad
0
wow
2