लखीमपुर खीरी का एक ऐसा मंदिर जहां होती है मेंढक की पूजा

यूपी का लखीमपुर खीरी जिला पिछले कई दिनों से काफी चर्चा में है। दिल्ली से लेकर लखनऊ तक सियासी हलचल तेज है।
इन सबके अलावा लखीमपुर खीरी अपने एक खास और विशेष मंदिर के लिए भी जाना जाता है।
हमारे देश में ऐसे कई मंदिर हैं, जो अपने आप में काफी अनोखे हैं। मंदिरों में अलग-अलग देवताओं की पूजा के बारे में आपने खूब सुना होगा, लेकिन क्या आपने कभी ऐसे मंदिर के बारे में सुना है, जहां मेंढक की पूजा होती है?
ये अनोखा मंदिर उत्तरप्रदेश के लखीमपुर-खीरी जिले के ओयल कस्बे में स्थित है। यह भारत का एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां मेंढक की पूजा होती है।
लखीमपुर-खीरी जिले में एक ऐसा शिव मंदिर है जिसमे शिवजी मेंढक की पीठ पर विराजमान हैं।
जिला मुख्यालय से करीब 12 किलोमीटर दूर ओयल कस्बे में स्थित इस मन्दिर को मेंढक मंदिर के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर की खास बात ये है कि यहां नर्मदेश्वर महादेव का शिवलिंग रंग बदलता है, और यहां खड़ी नंदी की मूर्ति है।
ये मन्दिर अपनी स्थापत्य के लिए यूपी ही नहीं पूरे देश के शिव मंदिर में सबसे अलग है।
सावन में दूर-दूर से भक्त यहां आकर भोलेनाथ का जलाभिषेक करते हैं और आशीर्वाद लेते हैं। कहा जाता है कि यह मंदिर ओयल स्टेट के राजा बख्त सिंह ने करीब 200 साल पहले बनवाया था ।
यह क्षेत्र 11वीं सदी से 19वीं सदी तक चाहमान शासकों के आधीन रहा था। चाहमान वंश के राजा बख्श सिंह ने ही इस अनोखे मंदिर का निर्माण कराया था।
कहते हैं कि इस मंदिर की वास्तु परिकल्पना कपिला के एक महान तांत्रिक ने की थी। तंत्रवाद पर आधारित इस मंदिर की वास्तु संरचना अपनी विशेष शैली के कारण लोगों का मनमोह लेती है।
मंदिर की दीवारों पर तांत्रिक देवी-देवताओं की मूर्तियां लगी हुई हैं. मंदिर के अंदर कई विचित्र चित्र भी लगे हुए हैं।
इस मंदिर से जुड़ी एक मान्यता के मुताबिक सूखे और बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदा से बचाव के लिए इस मंदिर का निर्माण कराया गया था. मेंढक मंदिर में दीपावली और महाशिवरात्रि पर भक्तों की भारी भीड़ जुटती है।
यहां के पीठासीन भगवान शिवजी हैं इसलिए इसे उत्तर प्रदेश के नर्मदेश्वर मंदिर भी कहा जाता है।
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