माँ...

तेरी गोद में सिर रखकर,
सिसक-सिसक कर रोना चाहती हूँ माँ।
तुझे कितना प्यार करती हूँ,
ये बताना चाहती हूँ,माँ।
तेरे हर त्याग और बलिदान के लिए,
धन्यवाद देना चाहती हूँ।
जानती हूँ तू मेरे लिए ही जीती है।
हर गम सह कर, आँसू पीती है।
कभी अपनी ओर कोई ध्यान न दिया,
सदा मेरे चेहरे पर मुस्कान दी है।
मैंने सदा पिता को सबसे महान माना।
सबसे मेहनती और परिवार पर
न्योछावर इंसान जाना।
उस पिता की मेहनत को भी भुला नहीं सकती।
पर तेरे त्याग को भी तो
कम आँक नहीं सकती।
अब मैं भी एक माँ हूँ।
फिर से इतिहास दोहरा रहा है,
मुझमें तेरा अक्स समा रहा है।
जो तूने मेरे लिए किया,
वो अब मैं अपने बच्चों के लिए करती हूँ
माँ हूँ न ! इसलिए कभी नहीं थकती हूँ।
पर कभी-कभी फिर से
बच्ची बनना चाहती हूँ माँ।
तेरे गले से लिपटकर
खिलखिलाना चाहती हूँ,माँ।
तेरे आँचल में छिप कर खेलना चाहती हूँ,माँ।
तेरे कंधे से टिक कर सोना चाहती हूँ,माँ।
तेरी गोद में सिर रखकर
सिसक - सिसक कर रोना चाहती हूँ माँ।।
रितु अग्रवाल
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