मैं जैसी हूं अपनी फेवरेट हूं

मैं जैसी हूं अपनी फेवरेट हूं

बचपन से ही झेलती आई हूं तानों के वार,

मेरे मोटापे को लेकर किए जाते रहे बार-बार मेरे कोमल मन पर प्रहार।

 बचपन में जब नाटक में राजकुमारी बनना चाहती, "राजकुमारी मोटी नहीं होती" यह कहकर मेरी हंसी उड़ाई जाती।

हमेशा से बहुत शौक था कमर थिरकाने का,

लेकिन दिल के कोने में कहीं डर था अपनी हंसी उड़वाने का।

जैसे-जैसे यौवन की ओर जाने लगी,

मोटी लड़की से कौन शादी करेगा यह चिंता सब को सताने लगी।

शादी के बाद भी जारी रहा उपहास का यह सिलसिला,

हर अंग पर ताने मारने को जैसे उनको कोई सामान है मिला।

लेकिन उम्र के इस पड़ाव पर पहुंचकर अपना मूल्य है मैंने समझा,

अब करती हूं वही  जो मेरा मन है करता।

अपना उपहास बनाने वालों की बातों को अब मजाक में उडा़ती  हूं ,

अब आत्मविश्वास है इतना कि अपने आपको आईने में देखकर मन ही मन इतराती हूं।

बस अफसोस है इतना कि देखने वालों को मेरा सुंदर मन कभी नजर ना आया,

उन्होंने देखी तो बस मेरी मोटी काया।

#बोडीशेमिंग


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